उत्तराखंड: ‘एक देश, एक चुनाव’ पर केंद्र की संसदीय समिति ने सभी राज्यों से मांगी 6 महीने में रिपोर्ट,
Uttarakhand: Central Parliamentary Committee seeks report from all states in 6 months on 'One Country, One Election'

देहरादून,22 मई 2025 ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : भारत सरकार द्वारा ‘एक देश, एक चुनाव’ पर गठित संयुक्त संसदीय समिति ने उत्तराखंड सहित सभी राज्यों से इस प्रस्ताव के फायदे और नुकसान पर छह महीने के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। समिति ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय हित का बताते हुए कहा कि भविष्य में जो भी निर्णय लिया जाएगा, उसमें देशहित सर्वोपरि होगा।
संयुक्त संसदीय समिति की बैठक का समापन
संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक 2024 पर प्रतिक्रिया लेने के लिए संयुक्त संसदीय समिति की बैठक 21 मई को शुरू हुई थी और गुरुवार को संपन्न हुई।
समिति के अध्यक्ष पी.पी. चौधरी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि समिति ने अब तक महाराष्ट्र और उत्तराखंड से ‘एक देश, एक चुनाव’ पर फीडबैक लिया है।
उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 1967 तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते थे, लेकिन उसके बाद यह व्यवस्था बिगड़ गई।
वर्ष 1994 से एक साथ चुनाव कराने के प्रयास हुए, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए। चौधरी ने कहा कि वर्तमान में चुनाव प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन के लिए यह कवायद की जा रही है।
उन्होंने सभी राज्यों से ‘एक साथ चुनाव’ के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ-हानि पर विस्तृत अध्ययन कर रिपोर्ट भेजने को कहा है,
ताकि समिति को अपनी रिपोर्ट बेहतर बनाने में मदद मिल सके।
कोई समय-सीमा नहीं, जल्दबाजी नहीं
समिति के अध्यक्ष पी.पी. चौधरी ने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट तैयार करने के लिए समिति के सामने कोई निश्चित समय-सीमा नहीं है और वे किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं हैं।
उन्होंने जोर दिया कि यह काम देशहित से जुड़ा अत्यंत महत्वपूर्ण है,
इसलिए ठोस काम करने पर जोर दिया जा रहा है।
समिति पूरे देश के सभी राज्यों तक पहुंचेगी।
5 लाख करोड़ रुपये का संभावित लाभ
चौधरी के अनुसार, यदि एक साथ चुनाव शुरू हो जाते हैं,
तो अर्थव्यवस्था को 5 लाख करोड़ रुपये का लाभ होगा,
जो सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 1.6 प्रतिशत होगा।
उन्होंने सवाल किया कि आज भी कई चुनाव एक साथ होते हैं,
तो क्या यह गलत है।
उन्होंने यह भी बताया कि चुनाव के दौरान 4 करोड़ 85 लाख श्रमिक देश में इधर से उधर आते-जाते हैं,
जिससे उद्योगों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने कहा कि मौसम भी चुनाव को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक है।
अप्रैल-मई में एक साथ चुनाव पर जोर
संयुक्त संसदीय समिति का मानना है कि पिछले कई वर्षों से पूरे देश में लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई में कराए जा रहे हैं,
और यह एक तयशुदा चक्र बन गया है।
‘एक साथ चुनाव’ के संबंध में बहुत सी बातें बाद में तय होनी हैं,
लेकिन यह सुझाव उपयुक्त माना जा रहा है कि
अप्रैल-मई का समय एक साथ चुनाव कराने के लिए सही रहेगा।
हर तकनीकी दिक्कत का समाधान
पी.पी. चौधरी ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है, और समिति ‘एक साथ चुनाव’ के विपक्ष में दिए जा रहे तर्कों को भी सुन रही है।
उन्होंने बताया कि समिति में विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्य हैं,
और वे संसदीय परंपराओं के अनुरूप काम कर रहे हैं।
चौधरी ने विश्वास व्यक्त किया कि हर तकनीकी दिक्कत का समाधान निकल जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि यह विचार किया जा रहा है
कि एक बार ‘एक साथ चुनाव’ का चक्र तय हो जाने के बाद यदि किन्हीं कारणों से दोबारा चुनाव की नौबत आती है,
तो पूरे पांच साल के लिए चुनाव नहीं कराए जाएंगे,
बल्कि सिर्फ शेष बची अवधि के लिए ही चुनाव होंगे, ताकि चक्र हर हाल में बना रहे।
समिति में 41 सदस्य
‘एक साथ चुनाव’ के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति में 41 सदस्य हैं, जिनमें से दो नामित हैं और उन्हें मताधिकार प्राप्त नहीं है।
उत्तराखंड प्रवास के दौरान इन सदस्यों ने विभिन्न संगठनों, विभागों के प्रतिनिधियों से ‘एक साथ चुनाव’ पर विस्तार से चर्चा की।
अध्ययन दौरे के दूसरे दिन, गुरुवार को, समिति ने उत्तराखंड शासन के प्रमुख अफसरों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं, बार कौंसिल के पदाधिकारियों, आईआईटी रुड़की के प्रतिनिधियों और स्थानीय हस्तियों के साथ इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की और सुझाव प्राप्त किए।