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देहरादून : सार्वभौमिक भाईचारे,सहिष्णुता का सन्देश देने वाले दार्शनिक,कवितज्ञ,संत श्री रविदास का 642 वां जन्मदिन डोईवाला में बेहद जोश,उमंग और उल्लास के साथ मनाया गया।
संत शिरोमणि गुरु रविदास ने मानवता के लिए कईं मार्ग प्रशस्त करते हुए सामाजिक कुरीतियों पर कुठाराघात किया।
मीराबाई उन्हें अपना गुरु मानती थी जिसका जिक्र भी किया है कि,”गुरु मिल्या रविदास” ।
संत रविदास एक उच्च कोटि के कवि थे उनकी रचनाओं को श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में स्थान मिला है।
उनका जन्मदिन माघ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
कल उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में आज डोईवाला के मिल रोड स्थित श्री रविदास मंदिर में कथा,सत्संग,प्रवचन के कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
रूड़की से आयी सागर आनंद और साथियों की टीम ने संत रविदास के जीवन से जुडी रचनाओं को गीत-संगीत के साथ प्रस्तुत किया।
डोईवाला के विभिन्न गावों से आये उनके अनुयायियों ने तालियों के साथ इन रचनाओं का जमकर आनंद उठाया।
आयोजन समिति के एडवोकेट बिरेंदर कुमार ने बताया कि,”संत श्री रविदास के 642 वें जन्मदिन को बहोत ही धूमधाम के मनाया जा रहा है। जिस तरह से डोईवाला के अलग-अलग गावों से यहां अनुयायी पहुंचे से उससे हम उत्साहित हैं।
गुरु महाराज जी का जीवन समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए है।”
आइये नज़र डालते हैं उनकी कुछ प्रमुख रचनाओं पर
ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन,
पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीन।।
रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच
नकर कूं नीच करि डारी है, ओछे करम की कीच‘
मन चंगा तो कठौती में गंगा’
प्रभु जी तुम चंदन हम पानी। जाकी अंग-अंग बास समानी॥
प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा। जैसे चितवत चंद चकोरा॥
प्रभु जी तुम दीपक हम बाती। जाकी जोति बरै दिन राती॥
प्रभु जी तुम मोती हम धागा। जैसे सोनहिं मिलत सोहागा।
प्रभु जी तुम स्वामी हम दासा। ऐसी भक्ति करै ‘रैदासा॥
इस अवसर पर एक भंडारे का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में एडवोकेट बिरेंदर कुमार, डॉ. सतीश,सुशील दास,प्रदीप लहरी,ऋषि,अतर सिंह,सुदेश सहगल,सुमित बर्मन,मैडम मैना,सुनील बर्मन,अलोक जोशी,चेतन कोठरी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।