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गुजरात में “चांदीपुरा वायरस” से निपटने में चुनौतियां,हुई 6 बच्चों की मौत

New threat after Corona: Challenges in dealing with "Chandipura virus" in Gujarat

 

New Delhi ( Rajneesh Pratap Singh Tez ) : हाल के दिनों में, चांदीपुरा वायरस ने गुजरात में अपनी उपस्थिति से लोगों को चिंतित कर दिया है।

पिछले पांच दिनों में, इस वायरस के कारण छह बच्चों की मृत्यु की सूचना मिली है, जिससे स्थानीय समुदायों में डर और चिंता का माहौल बन गया है।

गुजरात के हिम्मतनगर अस्पताल में इस वायरस से छह लोगों की मौत की खबर ने न केवल गुजरात में, बल्कि आसपास के राज्यों में भी दहशत फैला दी है।

यह स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है क्योंकि लोग अभी भी कोरोना वायरस महामारी के प्रभावों से उबर रहे हैं, और ‘वायरस’ शब्द सुनते ही बहुत से लोग भयभीत हो जाते हैं।

हालांकि, स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि हालांकि सतर्कता आवश्यक है, पर घबराने की आवश्यकता नहीं है।

चांदीपुरा वायरस: एक पुराना खतरा नए रूप में

चांदीपुरा वायरस, जिसने हाल ही में गुजरात में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, वास्तव में कोई नया खतरा नहीं है।

यह वायरस पहली बार 1965 में महाराष्ट्र में पहचाना गया था।

तब से, यह समय-समय पर देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराता रहा है।

गुजरात में भी हर साल इस वायरस के मामले सामने आते रहे हैं।

यह वायरस बैकुलोवायरस परिवार से संबंधित है और मुख्य रूप से मच्छरों, टिक्स और सैंड फ्लाई जैसे वेक्टर के काटने से फैलता है।

इसका प्रकोप मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक देखा जाता है, जहां इन कीटों का प्रसार अधिक होता है।

यह वायरस विशेष रूप से 9 महीने से 14 साल तक के बच्चों को प्रभावित करता है, जिससे उनमें बुखार और मस्तिष्क की सूजन (एन्सेफलाइटिस) जैसी गंभीर स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं।

लक्षण, जोखिम और सावधानियां

चांदीपुरा वायरस के मुख्य लक्षणों में बुखार, उल्टी, दस्त और सिरदर्द शामिल हैं।

यह वायरस विशेष रूप से खतरनाक इसलिए माना जाता है क्योंकि संक्रमित व्यक्ति, विशेषकर बच्चे, लक्षण दिखाई देने के 48 से 72 घंटों के भीतर ही मृत्यु का शिकार हो सकते हैं।

यह शिशुओं और वयस्कों के लिए भी घातक हो सकता है।

संक्रमण का खतरा विशेष रूप से बरसात के मौसम में बढ़ जाता है।

गुजरात सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है। यदि किसी व्यक्ति में इस वायरस के लक्षण दिखाई दें, तो उसे तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए। लापरवाही घातक साबित हो सकती है।

स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि हालांकि यह वायरस प्रत्यक्ष रूप से संक्रामक नहीं है, फिर भी इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि वहां इस वायरस का प्रकोप अधिक देखा जाता है।

इस प्रकार, चांदीपुरा वायरस एक ऐसी चुनौती है जिसका सामना सावधानी और जागरूकता से किया जा सकता है।

यद्यपि यह एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा है, परंतु उचित सावधानियों और समय पर चिकित्सा सहायता से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।

समुदायों और स्वास्थ्य प्रणालियों को मिलकर काम करना होगा ताकि इस वायरस के प्रसार को रोका जा सके और प्रभावित लोगों को समय पर उपचार मिल सके।

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