उत्तराखंड में पहली बार गोल्ड प्लेटेड इम्प्लांट सर्जरी सफल, डोईवाला में हुआ ऑरिक गोल्ड प्लेटेट इम्प्लांट का लॉन्च
Gold plated implant surgery successful for the first time in Uttarakhand, Auric Gold Plate Implant launched in Doiwala

देहरादून,25 मई 2025 ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : उत्तराखंड के डोईवाला में ऑरिक गोल्ड प्लेटेट इम्प्लांट Auric Gold Plated Implants प्रोडक्ट्स के लॉन्च के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में राज्य के प्रमुख ऑर्थोपेडिक सर्जनों ने हिस्सा लिया.
इस दौरान उत्तराखंड में पहली बार बायोनिक गोल्ड प्लेट इंप्लांट की गई तीन सफल सर्जरी के बारे में जानकारी साझा की गई.
अत्याधुनिक गोल्ड प्लेटेड इम्प्लांट की तीन सफल सर्जरी
उत्तराखंड में पहली बार, आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए बायोनिक गोल्ड प्लेटेड इम्प्लांट की तीन सर्जरी सफलतापूर्वक की गई हैं.
इनमें से एक सर्जरी दून मेडिकल कॉलेज, देहरादून में और दो सर्जरी हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में संपन्न हुईं.
• दून मेडिकल कॉलेज में ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट डॉ. अनिल जोशी और उनकी टीम ने सफलतापूर्वक टिबिया (Tibia) का इम्प्लांट किया.
• हिमालयन हॉस्पिटल में ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट डॉ. अतुल अग्रवाल और उनकी टीम ने सफलतापूर्वक ओलेक्रैनॉन (Olecranon) का इम्प्लांट किया.
•इसके अतिरिक्त, हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट के यूनिट हेड डॉ. राजेश, डॉ. दिग्विजय अग्रवाल और डॉ. सनद सचान की टीम ने सफलतापूर्वक अल्ना (Ulna) का इम्प्लांट किया।
गोल्ड प्लेटेड इम्प्लांट्स के फायदे:
MRI संगतता और एलर्जी से मुक्ति
पहले, इम्प्लांट के लिए शरीर में स्टेनलेस स्टील का प्रयोग किया जाता था,
जिससे MRI संभव नहीं हो पाती थी.
इसके बाद टाइटेनियम का प्रयोग शुरू हुआ,
जिससे MRI तो हो पाती थी, लेकिन स्किन एलर्जी की समस्याएं सामने आ रही थीं.
अब गोल्ड प्लेटेड इम्प्लांट का प्रयोग किया जा रहा है,
जिसको लेकर बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं.
ये इम्प्लांट शरीर में बेहतर स्वीकार्यता दिखाते हैं और एलर्जी प्रतिक्रियाओं से मुक्त होते हैं.
ट्रॉमा सर्जरी में तकनीकी क्रांति: पद्मश्री डॉ. बी.के. संजय
पद्मश्री डॉ. बी.के. संजय ने इस अवसर पर कहा कि बीते 50 वर्षों में ट्रॉमा के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी में जबरदस्त बदलाव आया है.
अब मसल पावर की जगह ब्रेन पावर का इस्तेमाल होता है.
उन्होंने बताया कि पहले ऑर्थोपेडिक सर्जरी के बाद प्लास्टर करना आवश्यक होता था, लेकिन अब ऐसा जरूरी नहीं है, क्योंकि शरीर में इम्प्लांट डाला जाता है.
इम्प्लांट की स्थिरता, मजबूती और गुणवत्ता ने सर्जरी की गुणवत्ता को भी बेहतर किया है और मरीजों को बेहतर परिणाम मिले हैं.
डॉ. सनद सचान ने गोल्ड सरफेस वाले इम्प्लांट की उच्च गुणवत्ता और बेहतर परिणामों पर जोर दिया.
हिमालयन हॉस्पिटल के डॉ. दिग्विजय ने बताया कि जहां अधिकतर कंपनियां इम्प्लांट को लेकर सटीकता का दावा करती हैं,
वहीं गोल्ड प्लेटेड इम्प्लांट सही सटीकता के साथ बेहतर परिणाम दे रहे हैं.
ऑरिक गोल्ड इम्प्लांट्स क्यों हैं ‘गोल्ड स्टैंडर्ड’?
ऑरिक ट्रॉमा इम्प्लांट्स कई मायनों में ‘गोल्ड स्टैंडर्ड’ साबित होते हैं:
सर्जरी के समय-सीमा से स्वतंत्रता: किसी भी समय सर्जरी की जा सकती है.
एलर्जी प्रतिक्रिया से स्वतंत्रता: मरीजों के लिए किसी भी एलर्जी प्रतिक्रिया का जोखिम नहीं।
आपूर्ति श्रृंखला और इन्वेंट्री से स्वतंत्रता: आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं से मुक्ति।
संक्रमण की चिंताओं से स्वतंत्रता: निर्जर्मित (स्टेराइल) पैकिंग संक्रमण के जोखिम को कम करती है।
मेरिल ट्रॉमा ऑरिक यह सब और बहुत कुछ प्रदान करता है, जिससे लोगों का इलाज बेहतर हो सकेगा और मरीजों को इसका काफी फायदा मिलेगा
शरीर में धातु की रिएक्शन जितनी कम होगी, सर्जरी की सफलता उतनी ही अच्छी होगी
लॉन्चिंग कार्यक्रम में गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
ऑरिक लॉन्चिंग के अवसर पर पद्मश्री डॉ. बी.के. संजय, हिमालयन हॉस्पिटल जौली ग्रांट के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट डॉ. अतुल अग्रवाल, डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. अनिल जुयाल, डॉ. चेतन, डॉ. फैज अकबर सिद्दीकी, डॉ. हर्ष प्रियदर्शी, डॉ. सिराज, डॉ. कमर आजम, हेड ऑफ द डिपार्टमेंट इमरजेंसी एंड ट्रॉमा सेंटर AIIMS,Rishikesh, डॉ. पवनीश लोहान, डॉ. इंद्रजीत भूमिका, डॉ. मनविंदर रावत, डॉ. अक्षत मित्तल, डॉ. विक्रांत, डॉ. निशांत, सिटी हॉस्पिटल हरिद्वार के डॉ. विमल कुमार, डॉ. गौरांग अग्रवाल सहित मोहन नायर, वीरेंद्र सिंह पंवार (Prop. and supplier of Auric Implant: Genesis Surgical Solutions ) और देवराज आदि भी उपस्थित रहे.