देहरादून : यूरोपीय देशों के मुकाबले भारत में अब भी इंटीलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स को लेकर सही जानकारी का स्तर कम माना जाता है। इसी वजह से सरकार आई.पी.आर. को लेकर कईं तरह के अवेयरनेस प्रोग्राम चला रही है।
इसी कड़ी में आज जॉलीग्रांट स्थित स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी में “बौद्धिक संपदा अधिकार” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया है। सेमिनार में उपस्थित प्रतिभागियों ने पेटेंट से संबंधित विभिन्न चरणों की जानकारी को जाना।
डॉ. उमा भारद्वाज अध्यक्ष,डॉ अनुपम धस्माना बने आई.पी.आर. के मेंबर सेक्रेटरी
उत्तराखंड स्टेट काउंसिल फोर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (यूकॉस्ट) के सहयोग से एस.आर.एच.यू. में बौद्धिक संपदा अधिकार सेल की स्थापना की गयी है, जिसमें स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी के डॉ अनुपम धस्माना को सदस्य सचिव (Member Secretary) बनाया गया है जबकि डॉ. उमा भारद्वाज को इसका अध्यक्ष बनाया गया है।
एसआरएचयू बौद्धिक संपदा अधिकार सेल की अध्यक्ष,डॉ. उमा भारद्वाज ने बताया कि किस तरह से शिक्षक व चिकित्सक बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत अपने अविष्कारों को सुरक्षित रख सकते हैं।
सदस्य सचिव,डॉ अनुपम धस्माना ने कहा कि किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा सृजित कोई रचना,संगीत,साहित्यिक कृति,कला,खोज आदि उनकी बौद्धिक संपदा यानि इंटीलेक्चुअल प्रॉपर्टी होती है।
जानकारी के अभाव में पब्लिक डोमेन में इनके आने पर कोई अन्य व्यक्ति या संस्था इस पर अपना अधिकार प्राप्त कर लेती है।इसका असली हकदार उस अधिकार से वंचित रह जाता है।
ऐसे में “पेटेंट” बौद्धिक संपदा की चोरी से बचाता है। पेटेंट हासिल करने पर कोई व्यक्ति कानून के मुताबिक एकाधिकार होने का दावा कर सकता है।
अपने संबोधन में डॉ. अंजू रावत ने इंटीलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के विभिन्न आयामों से प्रतिभागियों को अवगत कराया।
यूकॉस्ट से आए हिमांशु गोयल ने पेटेंट को किस तरह से फाइल किया जाता है इसकी जानकारी दी, बताया कि शोध व अविष्कारों को सुरक्षित कैसे रखा जाए।
इस अवसर पर आईपीआर सेल से सचिव सदस्य डॉ. अनुपम धस्माना ने सेमिनार का संचालन किया।
सेमिनार में डॉ. डीसी धस्माना, योगेद्र सिंह, डॉ. आरसी रमोला, डॉ. विवेक कुमार, डॉ. जूही कालरा, डॉ. आरसी सैनी मौजूद थे।