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लेखक गांव में बोले पूर्व डीजीपी,”ज्ञान के पिटारे” को खोलने का काम कर रहे डॉ निशंक

Dr. Nishank, former DGP, is working to open the "box of knowledge", the author said in the village.

देहरादून ,25 अक्टूबर 2024 ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : देहरादून के थानों में स्थित लेखक गांव में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.

जिसकी दूसरे दिन चिंतन सत्र में पूर्व डीजीपी अनिल रतूड़ी और जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण मुख्य रूप से उपस्थित रहे

द्वितीय सत्र में गढ़वाली कुमाऊंनी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया

गौरतलब है लेखक गांव में स्पर्श हिमालय महोत्सव-2024 का आयोजन किया जा रहा है

जिसमें दुनिया के 50 से अधिक देशों से साहित्यकार,कलाकार अंतर्राष्ट्रीय साहित्य,संस्कृति और कला समारोह में भाग ले रहे हैं

भारतीय सभ्यता सबसे पुरानी और अविरल : अनिल रतूड़ी

उत्तराखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी प्रथम सत्र के मुख्य अतिथि रहे

इस सत्र में उत्तराखंड में साहित्य की गौरवशाली परंपरा पर चर्चा की गई

मुख्य अतिथि अनिल रतूड़ी ने कहा कि साहित्य और भाषा मानव जीवन, सभ्यता और संस्कृति से जुड़ी हुई है

मनुष्य संसार के बाकी जीवों से भिन्न है क्योंकि उसके मस्तिष्क के विस्तार की अपार संभावनाएं होती है

उन्होंने कहा कि वैदिक सभ्यता संसार की सबसे पुरानी सभ्यता है

वैदिक काल में संसार की सबसे पुरानी लिखित लिपि पाई गई है

जहां दुनिया में यूनान, रोम और मिश्र की सभ्यताएं नष्ट हो गई

वही हमारी सभ्यता अविरल बनी हुई है

ऋग्वेद के सप्तपदी आज भी विवाह संस्कार में बोले जाते हैं

“ज्ञान के पिटारे” को खोल रहे डॉ निशंक

उन्होंने कहा लेकिन हमारा दुर्भाग्य है कि हम गुलाम हुए

पहले कोर्ट में फारसी चलती थी तो उसे पढ़ा गया

फिर अंग्रेज आए उन्होंने इंग्लिश लागू की तो उसको पढ़ा गया

उन्होंने भाषा इतिहास को रेखांकित करते हुए कहा कि 12वीं शताब्दी तक फ्रेंच भाषा प्रचलन में थी

उससे पुरानी लेटिन भाषा मानी जाती है

जहां तक इंग्लिश भाषा का ज्ञान है वह लगभग 600 से 700 वर्ष पुराना है

भारतीय संस्कृति और हजारों वर्षों का अनुभव अब भी एक प्रकार से पिटारे में बंद है

उन्होंने डॉ रमेश पोखरियाल निशंक की ओर इंगित करते हुए कहा कि डॉक्टर निशंक इस बंद ज्ञान के पिटारे को खोलने का काम कर रहे हैं

कालिदास, शेक्सपियर अथवा पाणिनि बनना पड़ेगा

श्री रतूड़ी ने कहा कि वेदव्यास जी ने बद्रीनाथ गुफा में महाभारत की रचना की है

कालिदास को पूर्व का शेक्सपियर कहा जाता है

उन्होंने कहा कि पतंजलि और पाणिनि के बाद की संस्कृत भिन्न है

12वीं शताब्दी में इटालियन भाषा में दांते ने डिवाइन कॉमेडी की रचना की

इसी प्रकार फिरदौस ने फारसी में पुस्तक लिखी

उत्तराखंड में कुमाऊनी और गढ़वाली के मानकीकरण के लिए किसी को कालिदास शेक्सपियर अथवा पाणिनि बनना पड़ेगा

भाषा के विकास में लिपि की बाध्यता नहीं

पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने कहा कि उत्तराखंड वेदव्यास और कालिदास के रूप में अविरल साहित्य की उद्गम स्थल है

जिसकी शुद्धता बची हुई है यह मध्यकालीन उत्तर भारत के प्रभाव से बची रही है

उन्होंने कहा कि बोली हर कोस पर बदल जाती है

श्री रतूड़ी ने कहा कि शब्द ब्रह्म है

बाइबल में कहा गया है वर्ड इज़ गॉड

शब्द से ही भाषा बनती है

उन्होंने कहा की लिपि का ना होना भाषा की समृद्धि में बाधक नहीं है

कला,संस्कृत और साहित्य के साधक हैं डॉ निशंक : प्रीतम भरतवाण

इस अवसर पर जागर सम्राट पदम श्री प्रीतम भरतवाण ने कहा कि डॉ रमेश पोखरियाल निशंक उच्च पदों पर रहते हुए भी साहित्य और कल के प्रति सदैव सजग और प्रयास रत रहे हैं

उन्होंने साहित्य और कला की धारा के निरंतर प्रवाह को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है

श्री भरतवाण ने कहा कि हमारे इष्ट देवता, आराध्य देवता, स्थान देवता की प्रेरणा से ही डॉक्टर निशंक लेखक गांव की संकल्पना को साकार कर पाए हैं

इस अवसर पर प्रीतम भरतवाण ने शपथ लेते हुए कहा कि मैं गढ़वाली ,कुमाऊनी ,जौनसारी दूध बोली भाषा के लिए नए जोश और उत्साह से काम करूंगा

कला,साहित्य-संस्कृति के प्रति हों संवेदनशील : डॉ निशंक

स्पर्श हिमालय महोत्सव की संरक्षक और देश के पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि मां गंगा ,हिमालय और हमारे देश का ज्ञान विज्ञान सदियों सदियों पुराना है

भारतीय संस्कृति दुनिया की संरक्षक रही है

उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा कि स्पर्श हिमालय का मतलब है

हिमालय को स्पर्श करना

हिमालय के प्रति एक एहसास एक संवेदना विकसित करना

उन्होंने कहा कि बिना संवेदनाओं के मनुष्य केवल एक चलता फिरता पुतला है

इसलिए अपने देश और दुनिया की संस्कृति साहित्य और कल के प्रति संवेदनशील होना आवश्यक है

राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की दो दिवसीय अनुवाद कार्यशाला

नेशनल बुक ट्रस्ट नई दिल्ली के द्वारा इस अवसर पर अनुवाद कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है

23 और 24 अक्टूबर 2024 को लेखक गांव में गढ़वाली और कुमाऊंनी में विभिन्न लेखकों की रचनाओं का अनुवाद किया जा रहा है

इस अवसर पर चंद्रशेखर तिवारी ने जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि

लेखक गांव में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के द्वारा देश के प्रसिद्ध लेखकों की रचनाओं कहानियां लेख इत्यादि का कुमाऊनी और गढ़वाली में अनुवाद किया जा रहा है

इस कार्यशाला में 10 गढ़वाली और 10 कुमाऊंनी साहित्यकार रचनाओं का अनुवाद कर रहे हैं

साहित्यकार राजेंद्र सिंह बोरा ने कहा कि डॉक्टर निशंक ने एक ऐसा कदम उठाया है जिससे लेखकों को सम्मान मिल रहा है

लेखिका चंद्रकला रावत ने कहा कि लेखक गांव के रूप में डॉ निशंक का स्वप्न धरातल पर उतर गया है

यहां का प्राकृतिक वातावरण और मौसम साहित्य सृजन के अनुकूल हैं

उन्होंने बताया कि वह बाल पुस्तक तेलंगाना के विशिष्ट पर्व का कुमाऊनी में अनुवाद कर रही हैं

इस अवसर पर चंद्रशेखर तिवारी,डॉ बसंती मठपाल,राजेंद्र सिंह बोरा,प्रोफेसर चंद्रकला रावत,प्रोफेसर प्रीती आर्या,माया रावत,रतन सिंह किमोलिया,डॉ हयात सिंह रावत,नवीन बिष्ट,हेमंत बिष्ट,बीना कांडपाल,शशि भूषण बडोनी,शांति प्रकाश जिज्ञासू,डॉ नीरज भारद्वाज आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे

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