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देहरादून के लेखक गांव थानों में दो दिवसीय कार्यशाला का आगाज

Two-day workshop begins in Writer Village Police Stations of Dehradun

देहरादून ,23 अक्टूबर 2024 ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : देहरादून के डोईवाला स्थित लेखक ग्राम,थानो में साहित्य, संस्कृति एवं कला महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है

जिसके पूर्व दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया ।

इस कार्यशाला में देश के शीर्ष साहित्यकार,विद्वान, और संस्कृति प्रेमी एकत्र हुए ।

कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (NBT) और लेखक ग्राम द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है।

यह आयोजन उत्तराखंड की समृद्ध साहित्यिक धरोहर को जीवंत रखने और उभरते लेखकों को प्रेरित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है ।

पहले दिन मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. सविता मोहन ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

उन्होंने अपने उद्बोधन में साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और सशक्त करने के महत्व पर प्रकाश डाला।

मुख्य वक्ता डॉ. नंदकिशोर हटवाल ने हिंदी और भारतीय भाषाओं की वर्तमान स्थिति, उनके विकास और वैश्विक परिदृश्य में उनकी भूमिका पर गहन चर्चा की।

प्रथम सत्र में हिंदी और स्थानीय भाषाओं के लेखकों की कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें रचनात्मकता और लेखन प्रक्रिया पर गहन मंथन हुआ।

दोपहर में आयोजित द्वितीय सत्र में समकालीन साहित्य और लेखन की नई संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई।

सत्रों के दौरान साहित्यप्रेमियों, कवियों और लेखकों ने सक्रिय भागीदारी की और रचनात्मक ऊर्जा का संचार देखा गया।

25 अक्टूबर के शुरू होने वाले महा सम्मेलन में भारत के पूर्व राष्ट्रपति और उत्तराखंड के राज्यपाल मुख्य अतिथि होंगे ।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ , केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र शेखावत , अजय टम्टा , विश्वविद्यालयों के कुलपति, देश-विदेश के प्रतिष्ठित साहित्यकार, जिनमें प्रवासी साहित्यकार डॉ. मोहनकांत गौतम, तेजेंद्र शर्मा, नीलम जैन, जया वर्मा आदि शामिल हैं, अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे।

साथ ही, प्रसिद्ध लेखक ममता कालिया, डॉ. अनामिका, बद्री नारायण, डॉ. लक्ष्मी शंकर बाजपेयी, बुद्धिनाथ मिश्र और अन्य प्रसिद्ध साहित्यकार भी अपने विचार और अनुभव साझा करेंगे।

सम्मेलन के प्रमुख आकर्षणों में प्रसिद्ध नृत्यांगना सोनल मानसिंह की प्रस्तुति, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की नाटक ‘माई रे मैं का से कहूँ’, और ‘लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम शामिल हैं, जिसे राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा संयोजित किया गया है।

पूर्व केंद्रीय शिक्षामंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने इस आयोजन की सफलता के लिए सभी का आभार व्यक्त किया और उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में इस महोत्सव की सराहना की।

उन्होंने सभी को इस साहित्यिक यात्रा का हिस्सा बनने का विनम्र आग्रह किया।

हिमालयीय विश्वविद्यालय और स्पर्श हिमालय फाउंडेशन इस महा सम्मेलन के आयोजन में मुख्य सहयोगी हैं, और इसे असाधारण और सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहें है।

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