विश्व पर्यावरण दिवस पर भारत के पहले लेखक गांव में प्रकृति, ज्ञान और जागरूकता का महासंगम
A grand confluence of nature, knowledge and awareness in India's first writer's village on World Environment Day

देहरादून,5 जून 2025 ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : आज, विश्व पर्यावरण दिवस के पावन अवसर पर, भारत के पहले लेखक गांव (Indian’s First Writer’s Village) में पर्यावरण संरक्षण का एक अनूठा और प्रेरणादायक कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस विशेष दिन पर, विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने पर्यावरण विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और प्रकृति प्रेमियों के साथ मिलकर पर्यावरण के प्रति जागरूकता का अलख जगाया।
नेचर वॉक और क्विज के ज़रिए प्रकृति से जुड़ाव
कार्यक्रम की शुरुआत वन विभाग विश्रामगृह, थानों से लेखक गांव तक एक मनमोहक ‘Nature Walk’ के साथ हुई।
इस वॉक में सभी प्रतिभागियों ने प्रकृति की सुंदरता का अनुभव करते हुए पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।
Lekhak Gaonपहुँचकर, छात्रों के बीच पर्यावरण पर एक रोमांचक क्विज प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें उन्होंने अपनी पर्यावरण संबंधी गहरी जानकारी का प्रदर्शन किया।
क्विज में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को मुख्य अतिथि द्वारा उत्साहवर्धन के लिए प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।
माटी से प्रेम और प्लास्टिक मुक्त जीवन का आह्वान
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, माटी कला बोर्ड के उपाध्यक्ष शोभाराम प्रजापति ने अपने ओजस्वी संबोधन में कहा, “पर्यावरण तभी सुरक्षित रह सकता है जब व्यक्ति प्रकृति और अपनी माटी से प्रेम करे।
मिट्टी जीवन का सार है, जो मनुष्यों, विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों का पोषण करती है।
इसलिए, हमें अपनी मिट्टी से ज़रूर प्रेम करना चाहिए।”
नेचर साइंस के निदेशक डॉ. रमन कुमार ने प्लास्टिक प्रदूषण की बढ़ती चुनौती पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “आज मानव जीवन में प्लास्टिक पूरी तरह घुसपैठ कर चुका है।
इसे हर हाल में बंद करना होगा, जिसके लिए वैज्ञानिकों ने कई अभिनव तरीके ईजाद किए हैं।”
वहीं, ग्राफिक इरा के वैज्ञानिक डॉ. बी. पी. उनियाल और पर्यावरण प्रेमी डॉ. सौम्या प्रसाद ने छात्र-छात्राओं को घरेलू प्लास्टिक कचरे से ‘प्लास्टिक ब्रिक’ बनाने की व्यावहारिक विधि समझाई, जो कचरा प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
लेखक गांव: प्रकृति, संस्कृति और शिक्षा का संगम
लेखक गांव के संरक्षक, प्रसिद्ध साहित्यकार तथा भारत के पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने लेखक गांव के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “लेखक गांव प्रकृति, संस्कृति और पर्यावरण की पाठशाला है।
यहां स्थापित संजीवनी वाटिका, जैन वाटिका, नक्षत्र वाटिका और नवग्रह वाटिका में युवाओं एवं छात्र-छात्राओं को ज़रूर भ्रमण करना चाहिए। इससे प्रकृति के प्रति उनका प्रेम और संवेदनशीलता बढ़ेगी।”
इस प्रेरणादायक कार्यक्रम में आशीष गर्ग, ओ. पी. मिनोचा, डॉ. राजेश नैथानी, प्रो. आर. सी. सुंदरियाल और प्रो. सर्वेश उनियाल जैसे पर्यावरण विशेषज्ञों ने भी छात्रों को जागरूक किया।
कार्यक्रम का कुशल संचालन आशना नेगी ने किया
इस अवसर पर सनराइज एकेडमी की प्रबंध निदेशक पूजा पोखरियाल, डॉ. नीरजा कुकरेती, डॉ. आरती, डॉ. शिवचरण नौटियाल, चेतन गौड़, डॉ. बेचैन कंडियाल एवं डॉ. इंदु नवानी सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
लेखक गांव द्वारा सभी अतिथियों को स्मृति स्वरूप पौधे भी भेंट किए गए, जो पर्यावरण संरक्षण के इस पवित्र संदेश को और भी सुदृढ़ करते हैं।
यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि मिलकर हम पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य बना सकते हैं।