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आईएफएस संजय कुमार सिंह जो खनन माफिया से लड़ते हुए आज ही के दिन हुए थे शहीद

IFS Sanjay Kumar Singh who was martyred on this day while fighting the mining mafia

देहरादून,15 फरवरी 2025 ( रजनीश प्रताप सिंह तेज़ ) : आज इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी (Indira Gandhi National Forest Academy), देहरादून में 23वें संजय कुमार सिंह स्मृति दिवस समारोह का आयोजन किया गया,

जिसमें भारतीय वन सेवा (आईएसएफ) के शहीद अधिकारी संजय कुमार सिंह के जीवन और बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

उन्होंने अपनी ज़िंदगी राष्ट्र की सेवा में और पर्यावरण की रक्षा करते हुए शहीद होकर पिछड़े और वंचित समुदायों की सेवा की.

Early life and education

13 सितंबर 1967 को बिहार के सीतामढ़ी जिले के बेलहमी जयराम गाँव में जन्मे संजय कुमार सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद आईआईटी दिल्ली और जेएनयू से उच्च शिक्षा प्राप्त की।

1991 में उन्होंने भारतीय वन सेवा में प्रवेश किया,

जहाँ उनकी प्रतिभा और समर्पण ने सभी का ध्यान आकर्षित किया।

The Struggle to Conservate Forests

वन प्रमंडल पदाधिकारी (Divisional Forest Officer) के रूप में गढ़वा, हजारीबाग और शाहाबाद में कार्यरत रहते हुए, संजय कुमार सिंह ने अवैध खनन, पत्थर खनन और वन भूमि पर अतिक्रमण के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाया।

विशेष रूप से शाहाबाद में, जहाँ अवैध खनन माफिया का बोलबाला था,

उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना इन गतिविधियों के खिलाफ मोर्चा खोला।

Adventure action in Shahabad

11 दिसंबर 2000 को सासाराम में DFO का पदभार संभालते ही उन्होंने अवैध खनन के खिलाफ व्यापक अभियान शुरू किया।

30 जनवरी 2002 को खनन माफिया के हमले का सामना करने के बावजूद,

उन्होंने अपना अभियान जारी रखा, जो उनकी अदम्य साहस की गवाही देता है।

सर्वोच्च बलिदान

15 फरवरी 2002 को कर्तव्य पालन के दौरान संजय कुमार सिंह ने अवैध खनन माफिया से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

उनका बलिदान पर्यावरण संरक्षण और वंचित समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए किए गए संघर्ष का प्रतीक बन गया।

Memorial Ceremony and Honors

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून में आयोजित 23वें स्मृति दिवस समारोह में उनके माता-पिता डॉ. घनश्याम नारायण सिंह और डॉ. कांती सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।

बिहार RERA के अध्यक्ष श्री विवेक कुमार सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में उनके योगदान को याद किया।

Legacy and inspiration

संजय कुमार सिंह की विरासत आज भी नई पीढ़ी के वन अधिकारियों को प्रेरित करती है।

उनका जीवन सार्वजनिक सेवा, ईमानदारी और पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण है।

उनका बलिदान हमें याद दिलाता है कि प्रकृति की रक्षा के लिए कभी-कभी सर्वोच्च कीमत चुकानी पड़ती है, लेकिन यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाता।

Impact on society

संजय कुमार सिंह ने न केवल वनों की रक्षा की, बल्कि अनुसूचित जनजातियों और गरीब समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए भी महत्वपूर्ण कार्य किया।

उनका जीवन दर्शाता है कि कैसे एक प्रतिबद्ध अधिकारी समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।

last message

संजय कुमार सिंह की कहानी हमें सिखाती है कि सच्चे देशभक्त और पर्यावरण रक्षक कभी खतरों से नहीं डरते।

उनका बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा,

और भारतीय वन सेवा के अधिकारी उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए देश के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए निरंतर प्रयासरत रहेंगे।

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