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जल संरक्षण के “भगीरथ प्रयास” कर एसआरएचयू ने कायम की अनूठी मिसाल

SRHU set a unique example by making “herculean efforts” towards water conservation.

 

देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : Swami Rama Himalyan University स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जॉलीग्रांट की प्रायोजित संस्था हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआईएचटी) का जल आपूर्ति व संरक्षण के लिए ‘भगीरथ’ प्रयास जारी है।

विगत 26 वर्षों से दुर्गम पहाडी क्षेत्रों के 550 से ज्यादा गांवों में पानी पहुंचाने का काम इसके द्वारा किया गया है

इसके साथ ही 31 प्रदेशों सहित केन्द्र शाषित राज्यों में पानी एवं स्वच्छता के अभियान को बढ़ाया है

विश्वविद्यालय कैंपस में जल सरंक्षण एवं भूजल संवर्धन के लिए 2.5 लाख लीटर के क्षमता के 10 रिचार्ज पिट एवं 2 बोरवेल रिचार्ज का निर्माण करवाया गया।

विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों में शौचालय हेतु 1.5 लाख लीटर क्षमता का वर्षा जल संचयन टैंक तथा 10 लाख लीटर प्रति दिन क्षमता का एसटीपी का निर्माण कर जल सरंक्षण की दिशा में अनूठी मिसाल पेश की है।

26 वर्ष पहले ही वाटसन का गठन

स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि यह अच्छा संकेत है कि पानी की महत्ता को आज कई संस्थान समझ रहे हैं।

लेकिन हमारे संस्थान में वर्ष 1998 में करीब 26 वर्ष पहले ही जल आपूर्ति व संरक्षण के लिए एक अलग वाटसन (वाटर एंड सैनिटेशन) विभाग Water and Sanitary Department का गठन किया जा चुका है।

तब से लेकर अब तक वाटसन की टीम द्वारा उत्तराखंड के सुदूरवर्ती व सैकड़ों गांवों में पेयजल पहुंचाया जा चुका है तथा देश के विभिन्न राज्यों में क्षमता विकास कार्यक्रम आयोजित किये गए है।

एचआईएचटी है जल शक्ति मंत्रालय के साथ मुख्य संसाधन केंद्र एवं सेक्टर पार्टनर

अध्यक्ष डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने एचआईएचटी को राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के ‘हर घर जल योजना’ के सेक्टर पार्टनर एवं मुख्य संसाधन केंद्र (के.आर.सी.) के तौर पर नामित किया है।

यह एक दिन या महीने भर की मेहनत का नतीजा नहीं है,

बल्कि सालों से पेयजल के क्षेत्र में एचआईएचटी टीम के द्वारा किए गए बेहतरीन प्रयास की सफलता है।

12 रेन वाटर हार्वेस्टिंग रिचार्ज पिट बनाए गए

अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने बताया कि बरसाती पानी के सरंक्षण के लिए एसआरएचयू कैंपस में वर्तमान में 12 रेन वाटर हार्वेस्टिंग रिचार्ज पिट Rain Water Harvesting Recharge Pit  बनाए गए हैं।

रेन वाटर हार्वेस्टिंग रिचार्ज पिट के बहुत फायदे हैं।

ऐसा करने से बरसाती पानी आसानी से जमीन में चले जाता है, जिस कारण जमीन में पानी का स्तर बना रहता है।

सूख चुके हैडपंप व जल स्रोत संवर्धन के लिए डायरेक्ट इंजेक्शन तकनीक का पेटेंट

विश्वविद्यालय के सलाहाकार प्रो.एचपी उनियाल ने बताया कि वर्षा जल को प्रयोग कर डायरेक्ट इंजेक्शन तकनीकी की मदद से सूखे हैण्डपम्प के रिचार्ज एवं जल स्रोत संवर्द्धन के कार्य हेतु अभिनव ‘डायरेक्ट इंजेक्शन’ तकनीकी पेटेंट की गई है।

साथ ही विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों में शौचालय हेतु 1.5 लाख लीटर क्षमता का वर्षा जल संचयन टैंक का निर्माण किया गया है।

वर्षा जल संचयन के माध्यम् से वर्ष के 365 दिनों तक पानी की आपूर्ति हेतु डिजाईन किया गया है।

31 राज्यों के 7787 प्रतिभागियों को जल जीवन मिशन पर प्रशिक्षित किया गया

उपनिदेशक नितेश कौशिक ने बताया कि भारत सरकार के मुख्य संसाधन केंद्र (के.आर.सी.) के रूप में एसआरएचयू के एक्सपर्ट 31 राज्यों (जम्मू- कश्मीर से केरल, लक्षद्वीप से अंडमान – निकोबार, सिक्किम से गुजरात तक) के पब्लिक हेल्थ इंजीनियर्स, राज्य सरकारों के अधिकारियों एवं पंचायतों / पेयजल समिति को उनके राज्यों में ही प्रशिक्षण दे रहे हैं।

अब तक 163 प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से 7787 प्रतिभागियों को जल संबंधित विभिन्न्न विषयों पर प्रशिक्षित कर चुका है।

इस वर्ष लगभग 5000 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है।

रोजाना 10 लाख लीटर पानी रिसाइकल

रोजाना 10 लाख लीटर पानी रिसाइकल प्रो.एचपी उनियाल ने बताया कि एसआरएचयू कैंपस में निर्मित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की क्षमता को बढ़ाया गया है।

इस प्लांट के माध्यम से अब 10 लाख लीटर पानी को रोजाना शोधित किया जाता है।

शोधित पानी को पुनः कैंपस में सिंचाई व बागवानी के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

सीआईआई से मिला ‘ग्रीन प्रैक्टिसेस अवॉर्ड

अध्यक्ष डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि संस्थान की इन तमाम उपलब्धियों के लिए हाल ही में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने विश्वविद्यालय को ‘ग्रीन प्रैक्टिसेस अवॉर्ड’ Green Practices Award की सर्विस कैटेगरी में ‘गोल्ड अवॉर्ड’ से सम्मानित किया।

इस कैटेगेरी में उत्तर भारत का पहला व एकमात्र संस्थान होने का गौरव भी हासिल किया। है।

वाटर लेस यूरिनल से बचाते हैं सलाना लाखों लीटर पानी

प्रो.एचपी उनियाल ने बताया कि जल संरक्षण के लिए हमने एक और कारगर शुरुआत की है।

विश्वविद्यालय के सार्वजनिक शौचालयों में अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित वाटर लेस यूरिनल Waterless Urinals लगवाए जा रहे हैं।

शुरुआती चरण में अभी तक 100 से ज्यादा वाटर लेस यूरिनल लगाए जा चुके हैं।

भविष्य में इस तरह के वाटर लेस यूरिनल कैंपस के सभी सार्वजनिक शौचालयों में लगवाए जाएंगे।

स्वच्छता के दृष्टिकोण से भी यह बेहतर है।

अमूमन एक यूरिनल से हम प्रतिवर्ष लगभग 1.50 लाख लीटर पानी को बर्बाद होने से बचाते हैं।

‘विश्व जल दिवस-2024 “शांति के लिए जल का लाभ” है।

प्रतिवर्ष 22 मार्च को मनाया जाने वाला विश्व जल दिवस जागरूकता बढ़ाता है और पानी और स्वच्छता संकट से निपटने के लिए कार्रवाई को प्रेरित करता है।

जल सरंक्षण एवं जल प्रबंधन को व्यापक प्रभावी बनाने के लिए जन आंदोलन के रूप में बढ़ावा दिया जाना जरूरी है। जल, जंगल, जमीन सिर्फ नारा नहीं बल्कि हमारी पहचान है।

भावी पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य के लिए जरूरी है जल संरक्षण। उन्होंने लोगों से जल के इस्तेमाल को औषधि की तरह सीमित मात्रा में इस्तेमाल करने की अपील की।

–डॉ.विजय धस्माना, अध्यक्ष, स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जॉलीग्रांट

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