तो यह फ्लैट था रिलायंस ज्वैल्स डकैती के आरोपियों का ठिकाना,पुलिस मौके पर पहुंची
• गैंग लीडर सुबोध से लातूर में हुई पूछताछ से पुलिस को मिली महत्वपूर्ण जानकारियां
• घटना से पूर्व गैंग के सदस्यों को एक-दूसरे के नाम व घटना में उनके रोल के अतिरिक्त नहीं दी जाती थी कोई अन्य जानकारी
• घटना करने से पूर्व गैंग द्वारा योजनाबद्ध तरीके से भागने के मार्गो पर 40 से 50 किलो मीटर की दूरी पर अलग-अलग वाहनों को किया जाता था खड़ा।
• घटना करने के बाद लूटी गई ज्वेलरी को नेपाल में 70% कीमत में बेच देता है गैंग
देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : देहरादून में रिलायंस ज्वैलरी शोरूम में हुई लूट की घटना में विभिन्न टीमें गैर प्रान्तों में अभियुक्तों की धर पकड हेतु निरन्तर प्रयासरत हैं।
ये है ताज़ी खबर
लुटेरों का सेक्टर 24 रोहिणी दिल्ली ठिकाना, दून पुलिस का बना निशाना
रिलायंस ज्वैल्स में हुई घटना में चिन्हित दोनों अभियुक्तों के ठिकाने पर दून पुलिस की ताबड़तोड़ दबिशें
अभियुक्तो के ठिकाने से पुलिस को मिले घटना से संबंधित महत्वपूर्ण साक्ष्य
देहरादून में रिलाइंस ज्वैलरी शोरूम में हुई घटना में चिन्हित 02 अभियुक्तों प्रिंस कुमार पुत्र शिवनाथ सिंह तथा विक्रम कुशवाहा पुत्र राम प्रवेश का सेक्टर 24 रोहिणी दिल्ली में एक फ्लैट होने के संबंध में पुलिस टीम को जानकारी मिली,
जिस पर पुलिस टीम द्वारा अभियुक्तों के रोहिणी स्थित फ्लैट पर दबिश दी गयी,
दबिश के दौरान पुलिस को फ्लैट की तलाशी मैं घटना से संबंधित महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले है।
अभियुक्त विक्रम कुशवाहा का आपराधिक इतिहास:
1- मु0अ0सं0: 29/19 धारा: 147/148/149/341/342/365/ 307/506 भादवि थाना सदर, जिला वैशाली, बिहार
2- मु0अ0सं- 424 /23 धाराः 395/398/170/171/427/323/504/506 भादवि0 3/25 आर्म्स एक्ट थाना विश्रामबाग, जिला सांगली, महाराष्ट्र
गैंग लीडर सुबोध कुमार की लातूर पुलिस द्वारा पुलिस कस्टडी रिमाण्ड ली गई थी,
जिससे जानकारी प्राप्त करने हेतु एक टीम को लातूर रवाना किया गया था, उक्त टीम द्वारा अभियुक्त से पूछताछ में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हुई,
जिसमें किसी घटना को करने से पूर्व अभियुक्तों द्वारा 40-50 किलो मीटर की दूरी पर अलग-अलग वाहनों को खडा किया जाता था
तथा वाहन चालकों को केवल दो से तीन व्यक्तियों
अथवा
उनके द्वारा दिये गए सामान को अपने स्थान से दूसरे पूर्व निर्धारित स्थान तक छोडने मात्र की जानकारी दी जाती थी,
इसके अतिरिक्त घटना में शामिल अभियुक्तों को भी एक दूसरे के नाम व घटना में उनके रोल के अलावा और कोई जानकारी नहीं दी जाती थी,
जिससे घटना के दौरान किसी के पकडे जाने पर वह अन्य लोगों के सम्बन्ध में और कोई जानकारी न दे पाये।
गैंग द्वारा लूट में बरामद माल को नेपाल में 70% कीमत में बेचकर उनसे नगद पैसे प्राप्त कर लिए जाते थे
तथा घटना के कुछ संमय बाद मामला थोड़ा शांत होने पर पैसों को आपस मे बांट लिया जाता था।