देहरादून : देश भर में होली के त्यौहार की धूम है।डोईवाला के बाजार भी अबीर,रंग और गुलाल से सजे हुए हैं।
पारंपरिक धातु की पिचकारी की जगह बीते कुछ वर्षों से प्रचलन में आयी प्लास्टिक की पिचकारी ने बाजार में अपनी खासी जगह बना ली है।जिसके कईं अलग-अलग मॉडल बिक्री के लिए दुकानों पर उपलब्ध हैं।
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डोईवाला में त्यौहार पर खरीदारी के लिए रेलवे रोड खासा मशहूर है।
जहां दर्जनों दुकानों पर होली के पूजन से लेकर रंग-गुब्बारे इत्यादि सामान बिक रहा है।
डोईवाला के विभिन्न इलाकों में होलिका दहन का आयोजन किया गया है,जहां सुबह से ही महिलाएं और पुरुष अपने बच्चों के साथ पूजा के लिए आ रहे हैं।
“यूके तेज़” से बातचीत में कथावाचक पंडित देवेंद्र शास्त्री ने बताया कि फागुन मास में होली का पर्व मनाया जाता है।
भागवत पुराण में उल्लेख आता है कि भक्त प्रहलाद को हिरण्यकश्यप जला कर जीवन समाप्त करने के लिए होलिका की गोद में बिठाते हैं लेकिन प्रहलाद भगवान के भक्त होते हैं और श्री हरि की कृपा से बच जाते हैं।
इस प्रकार होली बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है।”
स्थानीय निवासी अनीता अग्रवाल ने बताया कि हमारे पुरखों के समय से होलीका पूजन किया जाता रहा है और हम भी इस परंपरा को मना रहे हैं।
यह सनातन हिन्दू संस्कृति का पर्व है,जिसमें आपसी सदभाव और सौहार्द का संदेश दिया जाता है।
भानियावाला निवासी जय थपलियाल कहते हैं कि सभी को ईको-फ्रैंन्डली होली मनानी चाहिए। ग्राहकों को भी चाहिए कि वो दूकानदार से नेचुरल कलर की डिमांड करे।नकली,हार्मफुल कलर से बचें।
आपस में मिलजुलकर शांति से होली मनाएं।