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मोबाइल फोन की एक बैट्री कर सकती है कईं लाख लीटर पानी दूषित,एसआरएचयू में हुई ई-वेस्ट पर कार्यशाला

-एसआरएचयू में ई-अपशिष्ट प्रबंधन पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित
– देहरादून, ऋषिकेश व डोईवाला से 70 से अधिक प्रतिभागी हुये शामिल
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रजनीश प्रताप सिंह ‘तेज’

देहरादून :
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय जौलीग्रांट में राष्ट्रीय हिमालय अध्ययन मिशन भारत सरकार, नई दिल्ली और उत्तराखंड राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (यूकोस्ट), देहरादून के सहयोग से ई-अपशिष्ट पर दो दिवसीय जनजागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें ई-अपशिष्ट प्रबंधन के विषय पर विचार-विमर्श किया गया।

गुरुवार को एसआरएचयू में कार्यशाला के उद्घाटन पर मुख्य अतिथि, डॉ राजेंद्र डोभाल महानिदेशक उत्तराखंड विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (यूकोस्ट) ने देहरादून के लोगों को वैज्ञानिक रूप से ई-कचरे के प्रबंधन और फैलाव के बारे में जागरूक करने पर जोर दिया।

डॉ. डोभाल ने कहा कि ई-कचरे को कम करने, बदलने, दीर्घकालिक उपयोग, पुनः उपयोग और नवीनीकरण को तैयार करने और लागू करने और ई-वस्तुओं की सुविधाओं के दुरुपयोग की जांच करने की आवश्यकता है। उन्होंने विभिन्न प्रकार के ई-कचरे जैसे पुराने मोबाइल, गैर-काम करने वाले लैपटॉप, कंप्यूटर, विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं से कीमती धातुओं को निकालने पर जोर दिया।

उन्होंने बताया कि सिर्फ एक मोबाइल की बैटरी कई लाख लीटर पानी को दूषित कर सकती है। ऐसे में फोन और लैपटॉप से बैटरी के सावधानीपूर्वक उपयोग और उसके निस्तारण का आह्वान किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कुलपति स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि जैसे-जैसे इलेक्ट्रानिक उत्पादों की मांग बढ़ रही है।

उसके साथ ही इलेक्ट्रानिक कचरा भी बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा असुरक्षित ई-कचरे की रिसाइकिलिंग से उत्सृजित रसायनों के संपर्क में आने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो रही है। उन्होंने पुराने और गैर-कार्यशील ई-उपकरणों के प्रबंधन में विश्वविद्यालय नीति के विशिष्ट संदर्भों के साथ ई-कचरा प्रबंधन पर अपने विचार साझा किए।

डॉ. सी.एस. नौटियाल, वैज्ञानिक सलाहकार, स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय ने प्रतिभागियों को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग की जाने वाली दुर्लभ पृथ्वी धातुओं के बारे में अवगत कराया। डॉ. प्रशांत सिंह, समन्वयक यूकोस्ट ने कार्यशाला के महत्व पर विचार-विमर्श किया और प्रतिभागियों को विशेष रूप से देहरादून में कार्यशाला के उद्देश्य से अवगत कराया।

रजिस्ट्रार डॉ. सुशीला शर्मा ने कार्यशाला की सफलता और राज्य के सभी जिलों में कार्यशाला कराने की बात कही।

यूपीईएस देहरादून से डॉ. एन.ए. सिद्दीकी ने “स्थायी संसाधन संरक्षण के लिए ई-अपशिष्ट प्रबंधन“, डॉ. एस.एम. तौसीफ ने “ई-कचरे की समस्या का वास्तविक मूल और इसका सही मायने में स्थायी समाधान“, एसआरएचयू से डॉ संजय गुप्ता ने “ई अपशिष्टः पुनर्चक्रण, उपचार और निस्तारण और डॉ. अशूतोष चौधरी ने “ई-कचराः समस्या और समाधान“ विषय पर व्याख्यान दिया।

कार्यशाला में पीजी कॉलेज डोईवाला, पीजी कॉलेज ऋषिकेश, डॉल्फिन कॉलेज देहरादून, एसबीएस विश्वविद्यालय बालावाला के स्नातक और स्नातकोत्तर के 70 से अधिक प्रतिभागी सम्मिलित हुये। डॉ. संजय गुप्ता के संचालन में चले कार्यक्रम में डॉ. विवेक कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।

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