Uttarakhand Domicile Issue UKD : छिन रहे अवसर,हावी हो रहा माफिया ,उत्तराखंड में मूल निवास की “कट ऑफ डेट” पर यूकेडी ने की मांग

Uttarakhand Domicile Issue UKD
वर्ष 2000 को अस्तित्व में आए उत्तराखंड राज्य में मूल निवास की
कट ऑफ डेट को लेकर क्षेत्रीय राजनीतिक दल उत्तराखंड क्रांति दल
ने अब अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन किया है
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रजनीश सैनी
Uttarakhand Domicile Issue UKD
देहरादून : उत्तराखंड में मूल निवास की कट ऑफ़ डेट को लेकर
आज उत्तराखंड क्रांति दल ने देहरादून में भाजपा सरकार का पुतला फूंका
इस दौरान यूकेडी कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की और
उपस्थित जनसमूह को मूल निवास की जरूरत के विषय में संबोधित किया।
क्या होनी चाहिये उत्तराखंड में कट ऑफ़ डेट
उत्तराखंड क्रांति दल के नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि
उत्तराखंड के साथ ही झारखंड तथा छत्तीसगढ़ जैसे राज्य भी बने,
वहां पर सन 1950 की कट ऑफ डेट से ही मूल निवास लागू किया गया है
लेकिन उत्तराखंड में मूल निवास की कट ऑफ डेट 1985 लागू है।
यूकेडी के केंद्रीय महामंत्री सुनील ध्यानी ने इस कट ऑफ डेट को
1950 से लागू करने की मांग की है।
उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय महामंत्री किशन मेहता ने कहा कि
मूल निवास को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल राज्य बनने की
शुरुआत से ही संघर्ष कर रहा है और यह संघर्ष मूल निवास लागू होने तक जारी रहेगा।
उत्तराखंड क्रांति दल के जिलाध्यक्ष संजय डोभाल ने कहा कि मूल
निवास के मुद्दे पर विधानसभा स्तर पर आंदोलन तेज किया जाएगा।
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छिन रहे अवसर,हावी हो रहा माफिया
संरक्षक केंद्र पाल सिंह तोपवाल ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित
करते हुए कहा कि पूरे देश मे मूल निवास की एक ही कट ऑफ डेट होनी चाहिए।
युवा मोर्चा अध्यक्ष राजेन्द्र बिष्ट ने कहा कि मूल निवास के मुद्दे पर
राज्य वासियों के साथ राष्ट्रीय दलों ने छल किया है । राज्य के अवसर छिन रहे हैं।
लोकायुक्त आंदोलन के संयोजक सुमन बडोनी ने कहा कि मूल निवास
की डेट 1985 होने से माफिया हावी हो गया है।
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प्रदर्शन में ये रहे शामिल
इस अवसर पर केंद्रीय महामंत्री समीर मुंडेपी, जिला अध्यक्ष महिला
मोर्चा सुलोचना ईष्टवाल, युवा मोर्चा अध्यक्ष राजेन्द्र बिष्ट, सरोज रावत,
वीरेंद्र रावत, योगी पंवार, प्रमोद डोभाल,धर्मवीर गुसाईं, सुमन बडोनी,
परमानंद बलोदी,राजेंद्र गुसाईं, राजेश्वरी रावत, विपिन रावत,
अनिल डोभाल,यतेंद्र कंसवाल, संजीव शर्मा, सागर पोखरियाल ,
सुमित बंगाल, नवीन चौधरी आदि दर्जनों कार्यकर्ता शामिल थे।
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