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कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत की डोईवाला में सुनायी “रेगिस्तान में भटके एक प्यासे” की कहानी

देहरादून : प्रदेश के वित्त मंत्री प्रकाश पंत एक राजनीतिज्ञ ही नही हैं वो एक साहित्यकार,कवि भी हैं उनके काव्य संग्रह पहले ही प्रकाशित हो चुके हैं।

जल्द ही इंडो-नेपाल रिश्तों को लेकर उनकी लिखी नयी बुक “मैं काली हूँ” रिलीज़ होने वाली है।

कल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में सुशीला खत्री की संस्था नव ज्योति जनकल्याण समिति के द्वारा डोईवाला की आशीर्वाद वाटिका में एक महिला सम्मान समारोह आयोजित किया गया था। जिसके मुख्य अतिथि काबीना मंत्री प्रकाश पंत ने अपने भाषण का समापन एक छोटी से रोचक कहानी से किया।

प्रकाश पंत ने कहानी यूं सुनायी कि,”एक बार एक व्यक्ति रेगिस्तान में भटक जाता है,कईं मील चलने के बाद वो बेहद प्यासा होता है। गर्मी,तेज धुप और सर पर आग उगलता सूरज,ऐसे में उस व्यक्ति को एक खंडहरनुमा एक घर दिखाई देता है।

वो व्यक्ति जब उस घर के पास जाता है तो उसकी दीवार पर एक पानी का जग रखा होता है जिस पर दो बातें लिखी होती हैं ,”पहली ये कि इस जग का पानी सामने वाले हैंडपंप में डाल दो जिससे हैंडपंप चलाने पर पानी निकलना शुरू हो जायेगा।

( चूंकि पानी डालने से हैंडपंप रिचार्ज हो जायेगा )।

दूसरी बात ये कि पानी पीने के बाद ये जग फिर से भरकर रख दो।”

उस आदमी ने बड़ा विचार किया कि यदि हैंडपंप में पानी डालने पर भी पानी न निकला तो मैं इस पानी को पीने से भी वंचित रह जाऊंगा।

खूब सोच-विचार के बाद उस व्यक्ति ने आख़िरकार उस हैंडपंप में जग का पानी डाल दिया।तीन-चार बार हैंडपंप चलाने पर भी पानी नही आया तो उसे बहोत गुस्सा आया कि मैंने जग पर लिखी बात क्यूं मानी।

उसने गुस्से में फिर हैंडपंप चलाना शुरू कर दिया इस बार साफ़ बढ़िया पानी आना शुरू हो गया।

उस व्यक्ति ने अपनी प्यास बुझायी और उस जग पर एक तीसरी बात लिखी भरोसा रखना,पानी जरूर निकलेगा।”

प्रकाश पंत ने इस कहानी को जोड़ा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कि वो देश की सेवा के लिए पीएम बने। जब आपने उन पर भरोसा किया तो वो प्रधानमंत्री बने। आप उनको एक बार फिर से भरोसा करकर देश का प्रधानमंत्री बनाये।

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