नैनीताल हाईकोर्ट ने रखी आरोपी IAS आयकर अधिकारी समेत तीन लोगों की सजा बरकरार

नैनीताल हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में आरोपी IAS आईएएस आयकर अधिकारी श्वेताभ सुमन मामले में सुनवाई की. कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद श्वेताभ सुमन सहित सभी अन्य तीन लोगों की सजा बरकरार रखी है.
< आय से अधिक संपत्ति मामले में आरोपी है IAS आयकर अधिकारी श्वेताभ सुमन
< नैनीताल हाईकोर्ट ने श्वेताभ सुमन सहित सभी अन्य तीन लोगों की सजा बरकरार रखी है.
< सीबीआई देहरादून ने 13 फरवरी 2019 को श्वेताभ सुमन को सात साल की सजा सुनाई।
< श्वेताभ सुमन पर तीन करोड़ सत्तर लाख चौदह रुपए का जुर्माना लगाया है
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प्रियंका प्रताप सिंह
नैनीताल : नैनीताल हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में आरोपी 1998 बैच के आईएएस आयकर अधिकारी श्वेताभ सुमन व अन्य की अपीलों में सुनवाई की.
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद श्वेताभ सुमन सहित सभी अन्य तीन लोगों की सजा बरकरार रखी है.
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ में हुई.
2005 में हुआ था मुकदमा दर्ज
2005 में एक शिकायती पत्र के आधार पर IAS आईएएस आयकर अधिकारी श्वेताभ सुमन के खिलाफ दिल्ली में मुकदमा दर्ज किया गया था.
इसके बाद सीबीआई ने आयकर अधिकारी के चौदह ठिकानों पर 2015 में छापा मारा था, तब वे संयुक्त आयुक्त के पद पर कार्यरत थे.
जांच में सीबीआई ने पाया कि अधिकारी 337 प्रतिशत आय से अधिक संपत्ति रखता है, यह संपत्ति गाजियाबाद, झारखंड, बिहार व देहरादून में स्थित है. इस संपत्ति को श्वेताभ सुमन ने अपनी माता व जीजा के नाम कर रखी थी. उन्होंने अपनी मां गुलाबो देवी के नाम दिल्ली में एक होंडा सिटी कार भी फाइनेंस कराई थी.
गरीबों के नाम पर लिया दान
सीबीआई ने जांच में पाया कि श्वेताभ सुमन ने गरीबों की मदद के लिए अरविंद सोसायटी का रजिस्ट्रेशन कराया था. जिसमें उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए लोगों से दान लेकर उस धन को अपनी पत्नी व माता के खाते में ट्रांसफर किया था.
सीबीआई कोर्ट में अभियोजन पक्ष की तरफ से 255 और बचाव पक्ष की तरफ से 8 गवाह भी पेश किये गए थे.
13 फरवरी 2019 को सुनायी सजा
स्पेशल जज प्रिवेंशन ऑफ करप्शन (सीबीआई) देहरादून ने 13 फरवरी 2019 को श्वेताभ सुमन को सात साल की सजा सुनाई, साथ में तीन करोड़ सत्तर लाख चौदह रुपए का जुर्माना लगाया.
कोर्ट ने सुमन की मां को एक साल,जीजा,दो दोस्तों को चार-चार साल की सजा सुनवाई.
इस आदेश के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की.