DehradunEnvironmentExclusive

बताया “काला कानून”,इको-सेंसिटिव जोन को लेकर ग्रामीणों ने किया विरोध

“यूके तेज़” न्यूज़ ग्रुप से जुड़ने के लिये व्हाट्सएप्प मैसेज करें

रजनीश सैनी 80770-62107

देहरादून : आज डोईवाला की रामगढ फॉरेस्ट रेंज में वन विभाग और ग्रामीणों की एक बैठक हुई

जिसमें क्षेत्रवासियों के द्वारा इको-सेंसिटिव जोन का विरोध किया गया।

मीटिंग में सिमलास ग्रांट, नागल ज्वालापुर, नागल बुलंदावाला,दूधली,बुल्लावाला, झबरावाला के ग्रामीणों,किसानों और जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया।

क्या है इको-सेंसिटिव जोन ?

भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के द्वारा

संरक्षित वन क्षेत्र,नेशनल पार्क,वाइल्डलाइफ सेंचुरी के 10 किलोमीटर के दायरे को इको-सेंसिटिव जोन के रूप में नोटिफाईड किया जाता है।

इस क्षेत्र में पूर्व निर्धारित नियम-कानून के अनुसार ही गतिविधियां नियमित होती हैं।

आज बैठक में उपस्थित वन्य जीव प्रतिपालक अजय शर्मा के द्वारा ग्रामीणों की समस्याओं को सुना गया।

ग्रामीणों के द्वारा एक सुर में “इको-सेंसिटिव जोन” का विरोध करते हुये इसे जबरदस्ती थोपे जाने वाला “काला कानून” करार दिया गया।

ग्रामीणों के द्वारा कहा गया कि जिस तरह से इस जोन के अंतर्गत छोटी-छोटी बातों के लिए वन विभाग की बंदिशे लगी हैं

वो हमारी आजादि पर अंकुश लगाने का काम करेंगी।

जिसका हम सब ग्रामीण विरोध करते हैं।

बैठक में वन विभाग की ओर से वार्डन अजय शर्मा,फारेस्ट रेंज अधिकारी राकेश नेगी के अलावा

गीता देवी,दरपान बोहरा,उमेद बोहरा,परमिंदर सिंह “बाउ”,गंगा सिंह,

गोबिंद बोरा,अशोक वर्मा,रणजोध सिंह,जोगेन्दर पाल,मामचंद,

सभासद भूप सिंह,पूर्व प्रधान प्रदीप सिंह आदि क्षेत्रवासी उपस्थित थे।

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!