डोईवाला- हिमालयन हॉस्पिटल ने शारीरिक रुप से बेहद कमजोर 14 वर्षीय किशोरी को जिंदगी की नई रोशनी दी है।
नेत्र रोग सर्जन डॉ.रेनू धस्माना ने किशोरी की दांयी आंख में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर जीवन की नई रोशनी दी है।
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) के अधीन हिमालयन हॉस्पिटल की वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ.रेनू धस्माना ने बताया कि देहरादून निवासी 14 वर्षीय किशोरी त्रिशा के दोनों आखों में मोतियाबिंद था।
मोतियाबिंद का ऑपरेशन आसानी से किया जा सकता है। लेकिन, त्रिशा के मामले में यह केस इतना आसान नहीं था।
उन्होंने बताया कि इसकी वजह त्रिशा का शारिरिक रुप से बेहद कमजोर होना था।
त्रिशा की दोनों किडनियां भी खराब हैं।
बीते आठ सालों से त्रिशा डायलिसिस चल रहा है।
त्रिशा के पिता बबलू ने बताया कि मूक-बधिर भी है।
कुछ महीने से ही त्रिशा को देखने में परेशानी होने लगी।
इसके बाद उन्होंने कई अस्पतालों के चक्कर लगाए। लेकिन, उनकी बेटी की शारीरिक कमजोरी को देखते हुए सभी चिकित्सकों ने केस हाथ मे लेने से इंकार कर दिया।
इसके बाद उन्होंने हिमालयन हॉस्पिटल की नेत्र रोग सर्जन डॉ.रेनू धस्माना से अपनी बेटी की आंखों को लेकर चिकित्सीय परामर्श लिया।
डॉ.रेनू ने केस अपने हाथ में लिया जरूरी स्वास्थ्य जांचों के बाद ऑपरेशन की तैयारी शुरू की। त्रिशा की दहीने आंख का ऑपरेशन सफल रहा। अब वो स्वस्थ है और देख सकती है।
जनरल एनिस्थिसिया के बिना की सर्जरी
वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ.रेनू धस्माना ने बताया कि त्रिशा का डायलिसिस भी जारी था। इसलिए जनरल एनिस्थिसिया के लिए त्रिशा फीट नहीं थी।
जनरल जनरल एनिस्थिसिया दिये बिना सर्जरी करना काफी चुनौतीपूर्ण था। लेकिन, पूरी टीम के सहयोग से त्रिशा की सर्जरी सफल रही।