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( हेल्थ ) हार्ट पेशेंट को नही करना होगा लंबा इन्तजार,नयी ’कार्डिएक कैथ लेब’ शुरू हुई एम्स ऋषिकेश में

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देहरादून : एम्स ऋषिकेश के काॅर्डियोलॉजी विभाग में बुधवार से अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित ’बाईपलेन काॅर्डिक कैथ लैब’ ने कार्य करना शुरू कर दिया है।

संस्थान में नई लैब के लोकार्पण अवसर पर मुख्य अतिथि अर्श विद्यापीठ के संस्थापक स्वामी परमात्मानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि एम्स ऋषिकेश स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर रहा है।

इसी का परिणाम है कि उत्तराखंड और समीपवर्ती राज्यों के मरीजों को एम्स ऋषिकेश द्वारा उपलब्ध कराई जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं पर पूरा भरोसा है।

नही करना होगा लंबा इंतजार :—

एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि एम्स में नई कैथ लैब स्थापित होने से हार्ट और दिमाग संबंधी बीमारियों के मरीजों का उपचार अब आधुनिकतम उच्च तकनीक से हो सकेगा।

निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने नई लैब को हृदय रोग से ग्रसित बच्चों के लिए विशेष लाभकारी बताया।

कहा कि काॅर्डियोलॉजी विभाग में अब 2 कैथ लैब हो गई हैं। संस्थान में सुविधाओं के बढ़ जाने से हृदयरोगियों को इलाज के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

मिलेंगें सटीक परिणाम :—

एम्स ऋषिकेश के काॅर्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर भानु दुग्गल ने बताया कि अब नई कैथ स्थापित होने से हार्ट रोगियों के उपचार की क्षमता दोगुनी हो गई है।

बताया कि सीमेन्स कंपनी की बाईपलेन काॅर्डिक कैथ लेब द्वारा थ्री-डी तकनीक से इलाज करने की सुविधा है। लिहाजा इस तकनीक से रोगी की उपचार प्रक्रिया में आसानी होगी और इलाज के सटीक परिणाम प्राप्त होंगे।

यह है नई लैब की विशेषता-

बाईपलेन काॅर्डिक कैथ लेब द्वारा कम कन्ट्रास्ट में हृदयरोगी की एन्जियोग्राफी और एन्जियोप्लास्टी की जा सकती है, लिहाजा यह लैब गुर्दे केे मरीजों के उपचार के लिए भी विशेष लाभकारी है।

प्रो. भानु दुग्गल ने बताया कि हृदय में वॉल्व बदलने की सर्जरी प्रक्रिया के दौरान उपयोग की जाने वाली ’टावी’ तकनीक और जिन लोगों के हृदय में जन्मजात छेद होता है, उनके इलाज में इस मशीन से 3-डी तकनीक का इस्तेमाल करने से अब उच्चस्तरीय उपचार संभव हो सकेगा।

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