NationalUttarakhand

वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ के निधन पर मेरे हृदय में उनसे जुडी कुछ यादें-कुछ बातें : रजनीश प्रताप सिंह

देश के ख्यातिलब्ध पत्रकार विनोद दुआ का आज शाम निधन हो गया इस बरस की शुरुआत में दुआ दंपति कोविड से संक्रमित हुये थे जिस दौरान उनकी पत्नी की मृत्यु हो गयी थी

वेब मीडिया के विश्वसनीय नाम
यूके तेज से जुड़ने के लिये
वाट्सएप्प करें 8077062107
रजनीश प्रताप सिंह

देहरादून : विनोद दुआ से मेरी आखिरी बातचीत उनके मोबाइल फोन पर कोई चार बरस पहले हुई थी

यही कोई दिवाली का मौका था वो दिल्ली में थे

मैंने देहरादून के डोईवाला से उन्हें फोन किया

विनोद दुआ जी ने सरगम के मीठे सुर में बहोत ही सहृदयता और आत्मीयतापूर्ण बातचीत की

एनडीटीवी इंडिया पर एक कार्यक्रम आता था “जायका इंडिया का” जिसके एंकर विनोद दुआ थे

एक बार 15 अगस्त के मौके पर ” जायका अमन का” नाम से विशेष कार्यक्रम बनाया गया था
जिसे भारत के अमृतसर,पंजाब से विनोद दुआ और सरहद पार लाहौर,पाकिस्तान से सतीश जैकब ने होस्ट किया था
( सतीश जैकब का 80 के दशक में दूरदर्शन पर ईराक की राजधानी से Jacob From Baghdad प्रोग्राम आता था,बाद में वो BBC के इंडिया हेड हो गए थे
जब मेरी मुलाकात सतीश जैकब से हुई वो ABC न्यूज़ के लिए काम कर रहे थे )
विनोद दुआ का नंबर मुझे सतीश जैकब जी ने ही दिया था
विनोद दुआ जी से “जायका अमन का” के बारे में भी बातचीत हुई

विनोद दुआ एशिया के पहले टीवी एंकर थे

मेरा पसंदीदा उनका कार्यक्रम ‘प्रतिदिन’ था जिसमें वो सहारा टीवी पर देश के प्रमुख समाचार पत्रों की ख़बरों की समीक्षा वरिष्ठ पत्रकारों आरती जेरथ,नलिनी सिंह,प्रोफेसर भांबरी आदि के साथ करते थे

हम जैसे सिखतड़ के लिये वो एक इंस्टीटूशन थे

‘प्रतिदिन’ कार्यक्रम में उन्होंने एक दिन जिक्र किया कि वो दिल्ली में जब अपने घर से निकलते हैं तो एक धार्मिक स्थल पड़ता है जिस पर ‘प्राचीन’ लिखा है जबकि वो जवाहर लाल नेहरू के समय का बना हुआ है उन्होंने कहा तो क्या इस हिसाब से नेहरू भी ‘प्राचीन’ हो गये यानि घटनाओं का तार्किक विश्लेषण सहज ही आत्मसात किया जा सकता था

विनोद दुआ का चुनाव विश्लेषण उनकी उम्दा पत्रकारिता का एक बेहतर नमूना है

किसी बड़ी उम्रदराज शख्सियत के देहावसान पर वो घिसे-पिटे शब्दों में श्रद्धांजलि देने की बजाय कहते थे वो (अमुक शख्सियत जिसका देहावसान हुआ) एक बेहतर और भरपूर जीवन जीये उनका समाज को भरपूर योगदान रहा
उन्हीं के शब्दों में विनोद दुआ को श्रद्धांजलि,कि विनोद दुआ जब तक जीये उम्दा पत्रकारिता की लौ रोशन किये रहे अब उनके जाने के बाद ये लौ सदा राह दिखाती रहेगी

अब उनकी मृत्यु पर

पत्रकारिता के ‘शोर’ के बीच,पत्रकारिता के ‘गौर’ करने लायक भर नाम रह गया है …विनोद दुआ…….. अलविदा विनोद दुआ

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!