देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : डोईवाला के फतेहपुर स्थित हिमालयीय विश्वविद्यालय में वेद एवं विश्व शांति विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संस्कृत संगोष्ठी का आयोजन किया गया
इस संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग एवं आयुर्वेद संहिता सिद्धांत के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया ।
कार्यक्रम का शुभारंभ वेदमंत्रों के साथ स्वर्गाश्रम संस्कृत विद्यालय के वेदपाठी छात्रों द्वारा किया गया।
सर्वप्रथम हिमालयीय विश्वविद्यालय के कला संकाय के कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष एवं आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ समन्वयक डा अनूप बलूनी ने वेद एवं विश्वशान्ति के सन्दर्भों को व्यक्त किया
जिसके बाद उन्होंने विश्वविद्यालय की गतिविधयों एवं उद्देश्यों को प्रस्तुत किया।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो काशीनाथ जेना ने सभी आगन्तुकों का स्वागत करते हुए वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना का मूल वेदों को मानते हुए अपनी मङ्गलकामना व्यक्त की।
संगोष्ठी में पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफेसर महावीर अग्रवाल ने वेदों में समाहित ज्ञान मूल्य जीवन शैली को अपनाने पर बल दिया
उन्होंने वेदों में मौलिक अनुसंधान द्वारा विश्व कल्याण हेतु उचित कार्य करने के लिए नए शोधार्थियों को प्रेरित करने हेतु वेद विज्ञान को समझने और उसके अध्ययन की आवश्यकता बतलायी ।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो राजेश नैथानी ने विश्व की समस्त संस्कृतियों मूल वेदों को माना उन्होने कहा कि वर्तमान में सभी वैश्विक समस्याओं का शान्तिपूर्ण समाधान वेदों में विद्यमान है।
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अरुण कुमार त्रिपाठी ने वेदों में निहित आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति प्राकृतिक चिकित्सा के महत्व पर प्रकाश डाला
उन्होंने सभी को वेदों के माध्यम से विश्व कल्याण हेतु स्वास्थ्य के प्रति संचेतना एवं वैदिक आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की प्रचार प्रसार संवर्धन की बातें रखी।
वेद एवं विश्वशान्ति पर डा सुमनभट्ट एवं डा प्रकाश जोशी ने भी अपने विचार रखें।
उद्घाटन सत्र के समापन पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव अरविन्द अरोडा ने सभी धन्यवाद किया।
सम्पूर्ति सत्र में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय से वेद एवं पौरोहित्य विभाग के प्रभारी डॉक्टर अरुण कुमार मिश्र ने वेदों में निहित ज्ञान एवं सर्व कल्याण सर्व मंगल की भावना एवं वेदों में निहित ज्ञान द्वारा विश्व कल्याण विश्व शांति को परम आवश्यक बताया।
उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दिनेश चंद्र शास्त्री ने वेदों की महत्व विश्व शांति हेतु भारतीय ज्ञान परंपरा के पोशक विश्व बंधुत्व विश्व को परिवार मानने की भावना जैसी वेदों के अमृत तत्व एवं प्राणी मात्र कल्याण हेतु वेदों की ज्ञान के संवर्धन की बातें कही।
तकनीकि सत्र में प्रान्त के विभिन्न जनपदों से आए शिक्षक एवं शोधार्थियों ने शोधपत्र वाचन किये
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो प्रदीप भारद्वाज ने सभी शोधार्थियों को अपनी मङ्गलकामना व्यक्त की।
संगोष्ठी के समाप्ति सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में वर्तमान हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र के सांसद भारत सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने वेद एवं विश्व शांति अभियान की इस संगोष्ठी में विश्व में शांति की स्थापना हो ऐसी मंगल कामना के साथ अपने विचारों को अभिव्यक्त किया।
विश्वविद्यालय द्वारा संस्कृत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए श्री लक्ष्मण संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डा राम भूषण बिजल्वाण को हिमालयीय संस्कृत गौरव से सम्मानित किया गया
आगन्तुक गणमान्य अतिथियों का स्वागत शाल, प्रतीक चिह्न एवं रुद्राक्ष पोधे प्रदान कर किया गया।
हिमालयीय आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार झा ने आगन्तुकों को शुभकामना प्रेषित की।
महाविद्यालय उप प्राचार्या डा पुष्पा रावत , प्राशाशनिक अधिकारी एवं स्वस्थ वृत्त विभाग के प्राध्यापक डा निशांतराय जैन, आदि ने शुभकामानाएँ व्यक्त की।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के समस्त शिक्षक एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम में तीन सत्रों का सफल सञ्चालन क्रमशः कार्यक्रम के संयोजक डा नवीन जसोला, डा सुभाष चन्द्र बडोला जी द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के अन्त में आगुन्तक अतिथियों , प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन डा आनन्द जोशी द्वारा किया गया ।
कार्यक्रम को सफल बनाने में विशेष रूप से व्यवस्थाओं के सहयोग में सम्पदा प्रबन्धक हरीश नवानी, तकनीकि संयोजक मोहित पोखरियाल , करनैल सिंह, जनार्दन भट्ट आदि का योगदान रहा।