“अविश्वसनीय किंतु सत्य” : हिमालय का वो अद्भुत योगी जिसने रोकी “दिल की धड़कनें” तो हैरान रह गये वैज्ञानिक और डॉक्टर
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In the 1970s in America, he participated in some of the trials that validated the principles of medical science related to body and mind.
When he stopped the flow of blood in his heart for some time according to his wish, the doctors and scientists were surprised.
Dehradun : भारत में ऐसे अनगिनत योगी और तपस्वी हुए हैं जिन्होंने विदेशों में भारतीय योग और आध्यात्म का डंका बजाया है।
ऐसे ही थे स्वामी राम ।
स्वामी राम ने विदेशों में भारतीय यौगिक क्रियाओं का प्रत्यक्ष प्रदर्शन करके दिखाया। स्वामी राम की गिनती भारत के ऐसे योगियों में होती है
जिन्होंने पश्चिम में भारतीय संस्कृति, योग और शास्त्र का प्रचार प्रसार किया।
उन्होंने बताया कि योग के माध्यम से बहुत से ऐसे काम किए जा सकते हैं जिन्हें आधुनिक विज्ञान असंभव मानता है। उनकी आत्मकथा बहुत प्रसिद्ध है।
वर्ष 1925 में पौड़ी जनपद के तोली-मल्ला बदलपुर में स्वामीराम का जन्म हुआ। किशोरावस्था में ही स्वामीराम ने संन्यास की दीक्षा ली।
13 वर्ष की अल्पायु में ही विभिन्न धार्मिक स्थलों और मठों में हिंदू और बौद्ध धर्म की शिक्षा देना शुरू किया।
24 वर्ष की आयु में वह प्रयाग, वाराणसी और लंदन से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद कारवीर पीठ के शंकराचार्य पद को सुशोभित किया।
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रजनीश प्रताप सिंह तेज
गुरू के आदेश पर पश्चिम सभ्यता को योग और ध्यान का मंत्र देने 1969 में अमेरिका पहुंचे।
1970 में अमेरिका में उन्होंने कुछ ऐसे परीक्षणों में भाग लिया, जिनसे शरीर और मन से संबंधित चिकित्सा विज्ञान के सिद्धांतों को मान्यता मिली।
जब उन्होंने अपने दिल में खून के बहाव को कुछ देर तक अपनी इच्छा के अनुसार रोक लिया तो डॉक्टर और वैज्ञानिक हैरान रह गए।
17 सेकेंड तक अपनी दिल की धड़कनों को रोक लिया।
इतना ही नहीं उन्होंने यह भी दिखाया कि एक ही समय में दाहिने हाथ की हथेली का टेंपरेचर एक जगह ठंडा और एक जगह गर्म किया जा सकता है।
दोनों बिंदुओं के बीच कम से कम 5 डिग्री सेल्सियस का अंतर नापा गया।
उनके इस शोध को 1973 में इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका ईयर बुक ऑफ साइंस व नेचर साइंस एनुअल और 1974 में वर्ल्ड बुक साइंस एनुअल में प्रकाशित किया गया।
वह अपनी इच्छा मात्र से अल्फा, थीटा, डेल्टा ब्रेन वेव पैदा कर सकते थे।
स्वामी राम भारतीय उपनिषद, दर्शन के विद्वान थे।
लेकिन आधुनिक विज्ञान से भी उन्हें लगाव था।
उनकी आत्मकथा ‘लिविंग विद हिमालयन मास्टर्स’ बहुत प्रसिद्ध है। इसमें उन्होंने अनेक चमत्कारिक संतों का उल्लेख किया है।