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‘सफेद दाग’ नही है संक्रामक,हिमालयन हॉस्पिटल ने ”विश्व विटिलिगो दिवस” पर किया जागरूक

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देहरादून : जॉलीग्रांट स्थित हिमालयन हॉस्पिटल के त्वचा रोग विभाग की ओर से “विश्व विटिलिगो दिवस” के अवसर पर पोस्टर व वीडियो के माध्यम से रोगियों के परिजनों को विटिलिगो बीमारी के बारे में फैली भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास किया गया।

त्वचा रोग विभागाध्यक्ष डाॅ वाइ एस बिष्ट ने बताया कि विटिलिगो यानी सफेद दाग को साधारण भाषा में फूलवेरी कहते हैं।

सही जानकारी के अभाव में लोगों में ये भ्रान्ति है कि यह एक संक्रामक रोग है,जबकि सही तथ्य यह है कि यह रोग संक्रामक (Infectitious) नही है यह एक दूसरे को छूने से भी नही फैलता है।

वरिष्ठ त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ वाई एस बिष्ट ने बताया की इस रोग से ग्रसित कुल मरीजों के केवल 10 से 25 प्रतिशत में ही यह आनुवांशिक होता है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक साल 25 जून विश्व विटिलिगो दिवस के रूप में को मनाया जाता है।

डाॅ बिष्ट ने बताया कि विटिलिगो बीमारी को लेकर समाज में भ्रांतियां फैली हुई है लोगों में इसकी जानकारी के अभाव के कारण इसे अभिशाप माना जाता है।

डर्मेटोलॉजिस्ट डाॅ. रश्मि जिंदल ने कहा कि फूलवेरी शरीर में रंग बनाने वाली कोशिकाओं की कमी से होती है। उन्होंने कहा कि सामाजिक मान्यता है कि फूलवेरी गहरे रंग वाले व्यक्ति में ही व मछली के साथ दूध का सेवन करने से विटिलिगो नामक बीमारी होती है।

डाॅ. जिंदल ने कहा कि ये धारणाएं पूर्णरूप से गलत हैं।

अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञों का कहना है कि फूलवेरी के मेडिकल, सर्जिकल व लेजर द्वारा आधुनिक विधि से इलाज किया जा सकता है।

अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. एस एल जेठानी ने बताया कि त्वचा रोग संबंधित रोगी प्ले स्टोर से हिम संजीवनी ऐप डाउनलोड कर त्वचा रोग विशेषज्ञों से समयनुसार परामर्श ले सकते हैं।

इस अवसर पर एक विटिलिगो सपोर्ट ग्रुप का भी गठन किया गया।

इस अवसर पर मरीजों की जानकारी के लिए पैम्पलेट भी बांटे गए। कार्यक्रम को सफल बनाने में डाॅ. रश्मि जिंदल, डाॅ. प्रतीक नागरानी, डाॅ. पायल चैहान, डाॅ. शीनम, डाॅ. साधना का सहयोग रहा।

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