देहरादून : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने आज यूनिवर्सिटी के कुलपतियों से वार्ता की।
उन्होंने कहा कि हिन्दू तथा हिन्दुत्व, समस्त विश्व को एक परिवार मानता है। विश्व भर में जिन देशों में अन्य मत मतावलंबी हो गये वहां उन्हें दबाया गया तथा उनका उत्पीड़न हुआ।
हिन्दू समाज ने उनके साथ समानता का तथा मातृभाव का व्यवहार किया।
भारत मे इस्लाम, मतावलंबी कव्वाली गाते है। यह इसलिए है कि पूर्व में उनके पूर्वज हिन्दू थे तथा ईश्वर की आराधना व भावो के कारण भजन तथा कीर्तन करते थे। यही माध्यम उन्होंने इस्लाम मत को स्वीकार करने पर अपनाया।
हिन्दू धर्म मे अलग-अलग मतों के मानने वाले है परन्तु जीवन-दर्शन सभी का एक यही है।
इसलिए हम कहते है “असतो मा सदगमय” “सत्यमेव जयते” “धर्मो रक्षति रक्षितः” “यतो धर्मो ततो विजयं” आदि आदि।
एक प्रश्न के उत्तर में सरसंघचालक जी ने बताया कि संघ में अन्य मतावलम्बियों के आने पर प्रतिबंध नही है। वे आना चाहे तो आये।
अपनी पूजा पद्धति कोई भी है लेकिन हम सांस्कृतिक रूप से हिन्दू है इस भाव को अपनाना।
बाहरी देशो में चर्च समाप्त हो रहे है। उन्हें बेचा जा रहा है। उनके स्थान पर वहां के लोग मंदिरों का निर्माण कर रहे है क्योंकि यह विचार धीरे-धीरे सब देशो के लोग मानने लगे है कि जहां हिन्दू तथा हिन्दू मन्दिर है, वहां का वातावरण, सुख- समृद्ध तथा शांतिमय हो जाता है।
हिन्दू जीवन-दर्शन के प्रति विश्व में स्वीकार्यता बढ़ रही है।