उत्तराखंड में “कूड़ा हुआ सोना”,दो शहरों में कूड़े से बनने लगी है बिजली
Two cities of Uttarakhand, Rudrapur and Mussoorie, have found a unique solution to the problem of garbage disposal. Through waste to energy plants, these cities are now producing electricity and organic manure from garbage. The state government led by Chief Minister Pushkar Singh Dhami has taken this important step to balance ecology and economy.

देहरादून,11 नवंबर 2024 ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : उत्तराखंड के दो शहरों, रुद्रपुर और मसूरी ने कूड़े के निस्तारण की समस्या का एक अनूठा समाधान निकाला है।
वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के माध्यम से ये शहर अब कूड़े से बिजली और जैविक खाद का उत्पादन कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने इकोलॉजी और इकोनॉमी में संतुलन बनाने के लिए यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
बढ़ता कूड़ा, बढ़ती चुनौतियां
शहरों में बढ़ती आबादी और उपभोग के साथ कूड़े का उत्पादन भी लगातार बढ़ रहा है।
इससे नगर निकायों के सामने स्वच्छता और पर्यावरण प्रदूषण जैसी चुनौतियां पेश आ रही हैं।
कूड़े का उचित प्रबंधन और निस्तारण एक बड़ी समस्या बन गया है।
ईकोलॉजी और इकोनॉमी का संयोजन
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मुद्दे पर ध्यान दिया और विभागों को पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाने पर जोर दिया।
इसी कड़ी में राज्य सरकार ने “Waste to Energy” नीति तैयार की।
रुद्रपुर: 40 वार्ड वाले रुद्रपुर नगर निगम से प्रतिदिन 105 से 118 मीट्रिक टन कूड़ा पैदा होता था।
नवंबर 2022 में शुरू हुए वेस्ट टू एनर्जी प्लांट ने इस कूड़े को बिजली और जैविक खाद में बदल दिया है।
मसूरी: मसूरी नगर पालिका ने भी इसी साल मई से वेस्ट टू एनर्जी प्लांट शुरू किया है।
यह प्लांट प्रतिदिन आठ टन कूड़े से बायो गैस और जैविक खाद का उत्पादन कर रहा है।
यह योजना क्यों है खास:
पर्यावरण संरक्षण: कूड़े के ढेर से छुटकारा पाकर पर्यावरण प्रदूषण कम हुआ है।
अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: बिजली और खाद के उत्पादन से राजस्व में वृद्धि हुई है।
स्वच्छता: शहरों की सफाई व्यवस्था में सुधार हुआ है।
नवाचार: यह देश के अन्य शहरों के लिए एक मॉडल बन सकता है।
चुनौतियाँ और समाधान:
पहले निवेश: प्लांट लगाने में काफी निवेश की आवश्यकता होती है।
तकनीकी ज्ञान: इस तकनीक को संचालित करने के लिए कुशल कर्मचारियों की आवश्यकता होती है।
सरकार का एकीकृत दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाने पर जोर दिया है।
उन्होंने कहा, “हम हर हाल में उत्तराखंड के पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
सरकार ने इसके लिए वेस्ट टू एनर्जी नीति बनाई है, जिसके तहत शहरों में कूड़े से बिजली और खाद का उत्पादन किया जा रहा है।
यह न केवल पर्यावरण को लाभ पहुंचा रहा है, बल्कि आर्थिक लाभ भी देने लगा है।
इस प्रकार उत्तराखंड में कूड़े के सही प्रबंधन और उपयोग की शुरुआत हुई है, जो पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास दोनों के लिए एक मॉडल के रूप में उभर सकता है।