देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : “बोतल ठोको, थाने चलो!” – यह नया नारा देहरादून पुलिस का नहीं, बल्कि उन शराबियों का है,
जिन्हें पिछले चार दिनों में रायपुर पुलिस ने धर दबोचा है।
शहर की सड़कों को अपना निजी बार समझने वालों के लिए पुलिस ने ऐसा ‘मोक्टेल’ तैयार किया है, जिसका स्वाद वे लंबे समय तक भूल नहीं पाएंगे।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून के आदेश पर चलाए गए इस ‘नो बूज़, गुड न्यूज़’ अभियान में रायपुर पुलिस ने 55 ऐसे ‘रसिकों’ को पकड़ा है, जो सड़कों को अपना पर्सनल पब समझ बैठे थे।
पुलिस अधिनियम की धारा 81 के तहत इन ‘सड़कछाप सोमरसियों’ को ऐसा सबक सिखाया गया है कि अब वे सपने में भी सड़क पर बोतल नहीं खोलेंगे।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून ने जैसे ही यह फरमान जारी किया कि सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने वालों पर शिकंजा कसा जाए,
रायपुर पुलिस ने अपनी कमर कस ली।
नतीजा?
पिछले चार दिनों में 55 ‘शराब के शौकीन’ पुलिस की गिरफ्त में आ गए।
सहस्त्रधारा रोड, जहाँ पहले लोग ‘ठंडी हवा’ के बहाने शराब की बोतलें खोलते थे, वहाँ अब पुलिस की गाड़ियों की सायरन गूँज रही है।
लाडपुर रोड पर ‘मटके’ की जगह अब ‘थाने का चक्कर’ लगाना पड़ रहा है।
रिंग रोड पर ‘चखने’ की जगह अब ‘चालान’ का स्वाद चखना पड़ रहा है।
सहस्त्रधारा रोड, लाडपुर रोड, रिंग रोड और चूना भट्टा – शहर के ये इलाके जो कभी शाम होते ही ‘मिनी बार’ में तब्दील हो जाते थे, अब पुलिस की कड़ी नज़र में हैं।
लोग समझें – सड़क पीने की नहीं, चलने की जगह है।
जो इसे नहीं समझेंगे, उन्हें पुलिस समझा देगी
इस अभियान ने शहर के नागरिकों में भी उत्साह पैदा किया है।
यह अभियान आगे भी जारी रहेगा।
लगता है, देहरादून में अब सड़कें सिर्फ चलने के लिए होंगी, ‘ढलने’ के लिए नहीं!