देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : आइये जानते हैं क्या है मामला ?
ऋषिकेश में एक 70 वर्ष पुराना शिव दुर्गा मन्दिर है
बीती 10 जनवरी की शाम को इस शिव दुर्गा मन्दिर के अंदर रखी मूर्ति को एक अज्ञात व्यक्ति ने पत्थर से खंडित कर दिया
जिसके बाद वह व्यक्ति वहां से भाग गया
इस बारे में मंदिर के प्रबंधक के द्वारा कोतवाली ऋषिकेश में सम्बन्धित धाराओं में केस दर्ज कराया गया।
हरकत में आयी पुलिस
इस घटना के धार्मिक अस्थाओं से जुड़ा होने के कारण,लोगों में प्रतिक्रिया होने तथा कानून व्यवस्था की स्थिती प्रभावित होने की सम्भावना थी
जिस दृष्टिगत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून द्वारा घटना के अनावरण हेतु प्रभारी निरीक्षक कोतवाली ऋषिकेश को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गये
जिसके बाद तत्काल 04 अलग-अलग टीमों का गठन किया गया।
तो ऐसे पकड़ में आया आरोपी
पुलिस टीम ने घटना स्थल के आस-पास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेजों को खंगाला
इसके साथ ही मुखबिर तंत्र को सक्रिय किया गया
पुलिस ने ऋषिकेश के अलग- अलग स्थानों पर चैकिंग अभियान चलाते हुए संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ की।
पुलिस टीम को चेकिंग के दौरान सीसीटीवी फुटेज से प्राप्त संदिग्ध के हुलिये से मेल खाता 01 व्यक्ति मिला,
जिसे पुलिस द्वारा संरक्षण में लेकर उससे आवश्यक पूछताछ की गई तो मालूम चला कि वह व्यक्ति का मानसिक रूप से विक्षिप्त है
पुलिस द्वारा किये गये काफी प्रयासों के बाद उस व्यक्ति की पहचान नयन कुमार के रूप में हुई।
फिर ये नयी बात आयी सामने
पुलिस को मालूम चला कि यह नयन कुमार उत्तराखंड का नही
बल्कि गुजरात के भावनगर में रहने वाले जगदीश भाई का बेटा है
पुलिस टीम ने गुजरात की स्थानीय पुलिस से सम्पर्क कर उस व्यक्ति के सम्बन्ध में जानकारी की
तो मालूम चला कि यह व्यक्ति पिछले 07 वर्षों से अपने घर से लापता था
इस सम्बन्ध में भावनगर थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज हो रखी थी
पुलिस टीम द्वारा उस व्यक्ति के परिजनो से सम्पर्क कर उन्हें ऋषिकेश बुलाया ।
और बिछुड़े बेटे का हुआ परिवार से मिलन
बीते रोज नयन कुमार के परिजन कोतवाली ऋषिकेश पर आये,
जिन्होंने बताया कि नयन कुमार मानसिक रूप स विक्षिप्त है जिसका उपचार चल रहा था
उन्होंने यह भी बताया कि वह कईं वर्षों से लापता भी है
मंदिर मैनेजर ने दिखायी मानवीय संवेदना
ऋषिकेश पुलिस द्वारा शिकायतकर्ता और शिव दुर्गा मंदिर के प्रबंधक को कोतवाली बुलाया गया
पुरे प्रकरण की जानकारी पता चलने पर मंदिर मैनेजर ने मानवीय संवेदना का परिचय देते हुए आरोपी नयन कुमार के खिलाफ कोई कार्रवाई नही चाहने की बात कही
उन्होंने नयन कुमार को उसके परिजनों को सुपुर्द करने पर भी हामी भर दी
जिसके बाद पुलिस ने नयन कुमार को उसके पिता जगदीश भाई के सुपुर्द कर दिया
07 वर्षों के पश्चात अपने पुत्र को सकुशल पाकर उसके पिता व अन्य परिजन भावुक हो गये
उनके द्वारा उत्तराखण्ड पुलिस के मानवीय दृष्टिकोण तथा कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए आभार व्यक्त किया गया।