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मरीज के फेफड़े में था सवा तीन किलो का ट्यूमर,मुश्किल से बची जान

There was a three and a quarter kilo tumor in the patient's lungs, he barely survived.

देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : 44 वर्षीय विक्रम सिंह रावत, जो छाती में दर्द की समस्या से पिछले एक साल से परेशान थे, उन्हें एम्स ऋषिकेश में नया जीवन मिला।

अनुभवी थोरेसिक सर्जनों की टीम ने न केवल विक्रम की छाती से 3.2 किलोग्राम वजन का विशालकाय ट्यूमर सफलतापूर्वक निकाला, बल्कि उन्हें गंभीर बीमारी से भी बचा लिया। यह मामला इस बात का प्रमाण है कि समय पर इलाज शुरू होने से गंभीर बीमारी से भी ग्रस्त व्यक्ति के जीवन को बचाया जा सकता है।

विक्रम को मिली नई उम्मीद:

विक्रम को छाती में तेज दर्द और सांस लेने में तकलीफ की समस्या थी। उन्होंने आसपास के कई अस्पतालों में इलाज करवाया, लेकिन थोरेसिक सर्जन की कमी के कारण उन्हें निराशा ही हाथ लगी। आखिरकार, उन्होंने एम्स ऋषिकेश में उम्मीद की किरण देखी।

एम्स ऋषिकेश में जटिल सर्जरी:

सीटी स्कैन के बाद पता चला कि विक्रम के बाएं फेफड़े में एक विशालकाय ट्यूमर है, जो कभी भी दाएं फेफड़े को भी प्रभावित कर सकता था।

हाई-रिस्क होने के बावजूद, एम्स के डॉक्टरों ने ओपन सर्जरी करने का निर्णय लिया।

डॉ. अंशुमान दरबारी के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने 11 जून को सफलतापूर्वक सर्जरी कर ट्यूमर को निकाल दिया।

सर्जरी में डॉ. अविनाश प्रकाश (सीटीवीएस विभाग) और डॉ. अजय कुमार (एनेस्थेसिया विभाग) का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।

क्रिटिकल केयर और बेहतर देखभाल:

सर्जरी के बाद, विक्रम को क्रिटिकल केयर यूनिट में रखा गया और उन्हें उचित देखभाल प्रदान की गई। धीरे-धीरे उनकी स्थिति में सुधार हुआ और वे अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं।

राज्य सरकार की गोल्डन कार्ड योजना:

विक्रम का इलाज राज्य सरकार की गोल्डन कार्ड योजना के तहत निःशुल्क किया गया। यह योजना उनके लिए वरदान साबित हुई।

एम्स ऋषिकेश की उत्कृष्टता:

एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक, प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक करने वाली टीम की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश थोरेसिक और वक्ष से जुड़ी सभी बीमारियों का इलाज और सर्जरी करने में सक्षम है।

थोरेसिक/वक्ष सर्जरी: क्या है, और क्यों है यह महत्वपूर्ण ?

थोरेसिक सर्जरी छाती (वक्ष) के अंगों, जैसे हृदय, फेफड़े, अन्नप्रणाली, श्वासनली आदि पर की जाने वाली सर्जरी है।

यह शल्य चिकित्सा का एक विशिष्ट क्षेत्र है जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों और स्थितियों के इलाज के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करता है।

थोरेसिक सर्जरी के कुछ सामान्य प्रकारों में शामिल हैं:

फेफड़ों के ट्यूमर को हटाना: फेफड़ों के कैंसर और अन्य ट्यूमर के इलाज के लिए सर्जरी।

हृदय वाल्व की मरम्मत या प्रतिस्थापन: क्षतिग्रस्त हृदय वाल्वों को ठीक करने या बदलने के लिए सर्जरी।

फेफड़ों का प्रत्यारोपण: क्षतिग्रस्त या खराब फेफड़ों को स्वस्थ फेफड़ों से बदलने के लिए सर्जरी।

मध्यस्थान (मीडियास्टिनम) में ट्यूमर या अन्य असामान्यताओं को हटाना: मध्यस्थान छाती का वह भाग है जहां हृदय, फेफड़े, अन्नप्रणाली और अन्य अंग स्थित होते हैं।

श्वसननली (ट्रेकिया) की मरम्मत या प्रतिस्थापन: क्षतिग्रस्त या संकुचित श्वसननली को ठीक करने या बदलने के लिए सर्जरी।

छाती की दीवार की विकृति को ठीक करना: जन्मजात विकारों या चोटों के कारण छाती की दीवार में असामान्यताओं को ठीक करने के लिए सर्जरी।

थोरेसिक सर्जरी खुली सर्जरी या न्यूनतम इनवेसिव तकनीकों, जैसे कि वीडियो-असिस्टेड थोरेसिक सर्जरी (VATS) का उपयोग करके की जा सकती है।

VATS में, छोटे चीरों के माध्यम से कैमरे और शल्य चिकित्सा उपकरणों को डाला जाता है, जिससे कम दर्द, कम रक्तस्राव और तेजी से रिकवरी होती है।

उत्तराखंड में थोरेसिक सर्जरी:

उत्तराखंड के सभी सरकारी अस्पतालों में, एम्स ऋषिकेश एकमात्र ऐसा सरकारी स्वास्थ्य संस्थान है जो थोरेसिक सर्जरी की सुविधा प्रदान करता है।

एम्स ऋषिकेश में सीटीवीएस विभाग 2014 में स्थापित किया गया था और तब से इसने सैकड़ों सफल थोरेसिक सर्जरी की हैं।

डॉ. अंशुमान दरबारी:

एम्स ऋषिकेश के सीटीवीएस विभाग के प्रमुख डॉ. अंशुमान दरबारी एक प्रसिद्ध थोरेसिक सर्जन हैं जिन्होंने विशालकाय थोरेसिक ट्यूमर के इलाज में अपनी विशेषज्ञता के लिए ख्याति प्राप्त की है।

2021 में, उन्होंने 28×24 सेमी और 3.8 किलोग्राम वजन वाले भारत के सबसे बड़े ट्यूमर को सफलतापूर्वक हटाकर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया।

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