सामाजिक कार्यकर्त्ता राधा भट्ट को स्वामी राम मानवता पुरस्कार
Swami Ram Humanity Award to social worker Radha Bhatt
देहरादून ,13 नवंबर 2024 ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद के कौसानी में स्थित लक्ष्मी आश्रम की अध्यक्ष राधा भट्ट एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं।
पिछले 60 वर्षों से वे उत्तराखंड के पहाड़ों के लिए संघर्ष कर रही हैं।
जीवन का संघर्षमयी सफर
राधा भट्ट का जन्म 16 अक्टूबर 1933 को अल्मोड़ा के धुरका गांव में हुआ।
शिक्षा के प्रति उनका गहरा लगाव था,
इसलिए वे 1951 में गांधीवादी सरला बहन द्वारा कौसानी में स्थापित लक्ष्मी आश्रम में शिक्षिका बन गईं।
1957 में वे भू-दान आंदोलन में शामिल हुईं
और उत्तराखंड से पहली पदयात्रा शुरू की।
इसके बाद विनोबा भावे के साथ दो लंबी पदयात्राएं भी कीं,
एक उत्तर प्रदेश में और दूसरी असम में।
पहाड़ों के लिए लड़ाई
1961 से 1965 तक राधा भट्ट बोंगाड़ गांव, ग्राम स्वराज, शराब विरोधी आंदोलन, वन संरक्षण, युवा महिला सशक्तिकरण और गाय-बकरी चराने वाली किशोरियों के उत्थान जैसे मुद्दों पर काम करती रहीं।
1975 में वे 75 दिनों की लंबी पैदल यात्रा पर निकलीं,
जिसमें वन संरक्षण, चिपको आंदोलन, शराब विरोध और ग्राम स्वराज की स्थापना के लिए लोगों को जागरूक किया।
2006 से 2010 तक राधा भट्ट ने उत्तराखंड के हिमालय और नदियों का सर्वेक्षण किया
और हाइड्रो पावर परियोजनाओं का विरोध भी किया।
इसके अलावा उन्होंने ‘हिमालय की बेटियों’ नामक पुस्तक भी लिखी,
जिसे जर्मन और डेनिश में भी प्रकाशित किया गया।
सम्मान और पुरस्कार
राधा भट्ट को गांधीवादी विचारों के प्रसार और उन्हें साकार करने में उनके योगदान के लिए जमनालाल बजाज, गोदावरी गौरव, इंदिरा प्रियदर्शिनी पर्यावरण पुरस्कार, मुनि संतबल पुरस्कार और कुमाऊं गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
इसके अलावा, उन्हें शांति के लिए प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया जा चुका है।
राधा भट्ट ने 60 वर्षों से उत्तराखंड के पहाड़ों और पर्यावरण के मुद्दों के लिए अथक संघर्ष किया है।
उनकी लड़ाई और उपलब्धियां उन्हें एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बनाती हैं।