पंचायत चुनाव में उम्मीदवारी की पात्रता को लेकर फैलाई जा रही भ्रामक खबरों का खंडन
Refutation of the misleading news being spread regarding the eligibility for candidacy in Panchayat elections

देहरादून,8 जुलाई 2025 ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखंड ने आगामी पंचायत चुनावों में उम्मीदवारी की पात्रता से संबंधित फैलाई जा रही भ्रामक सूचनाओं पर स्पष्टीकरण जारी किया है.
आयोग के संज्ञान में आया है कि विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों पर यह गलत प्रचार किया जा रहा है कि यदि किसी उम्मीदवार का नाम शहरी और ग्रामीण दोनों मतदाता सूचियों में है, तो उसकी उम्मीदवारी रद्द हो सकती है.
इसके साथ ही, यह भ्रम भी फैलाया जा रहा है कि आयोग ने पात्रता के संबंध में नए निर्देश जारी किए हैं.
राज्य निर्वाचन आयोग ने इन सभी दावों का खंडन करते हुए स्पष्ट किया है कि उत्तराखंड में पंचायत चुनाव पूरी तरह से उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 (यथासंशोधित) के प्रावधानों के अनुसार ही संपन्न कराए जाते हैं.
आयोग स्वयं इस अधिनियम के प्रावधानों का पालन करता है और सभी हितधारकों से भी इन्हीं प्रावधानों का पालन करने की अपेक्षा करता है.
आयोग ने यह भी साफ किया है कि पात्रता के संबंध में कोई नए निर्देश जारी नहीं किए गए हैं; जो निर्देश हैं वे पहले से ही पंचायती राज अधिनियम में प्रावधानित हैं.
मत देने और निर्वाचित होने का अधिकार
अधिनियम में किसी भी उम्मीदवार के निर्वाचन के लिए मतदाता सूची में पंजीकरण, मताधिकार और निर्वाचित होने के अधिकार के संबंध में स्थिति स्पष्ट रूप से वर्णित है:
ग्राम पंचायत के लिए: अधिनियम की धारा 9(13) के अनुसार, जिस व्यक्ति का नाम ग्राम पंचायत के किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में शामिल है, वह उस ग्राम पंचायत में मत देने और किसी भी पद पर निर्वाचन, नाम-निर्देशन या नियुक्ति के लिए पात्र होगा.
क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के लिए: इसी प्रकार के स्पष्ट प्रावधान क्षेत्र पंचायत के लिए धारा 54(3) और जिला पंचायत के लिए धारा 91(3) में दिए गए हैं.
निरर्हता (Disqualifications) के प्रावधान
पंचायत चुनावों में किसी उम्मीदवार की निरर्हता से संबंधित प्रावधान केवल उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 की धारा 8 (ग्राम पंचायत के लिए), धारा 53 (क्षेत्र पंचायत के लिए), और धारा 90 (जिला पंचायत के लिए) में विस्तृत रूप से दिए गए हैं.
आयोग ने सभी से अनुरोध किया है कि वे ऐसे निराधार प्रचार पर विश्वास न करें और केवल उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 के आधिकारिक प्रावधानों तथा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी सूचनाओं पर ही भरोसा करें.
किसी भी प्रकार के संशय की स्थिति में, अधिनियम का अवलोकन करने अथवा जिला निर्वाचन अधिकारी एवं आयोग से संपर्क करने की सलाह दी गई है.