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अचानक रुकी साँस और दिल की धड़कन की दशा में जिंदगी बचाती है सीपीआर :डाॅ. संचिता

देहरादून :स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय एसआरएचयू में “सेव दी हार्ट, सेव दी लाइफ” थीम पर कॉर्डियो पल्मोनरी रिससिएशन (सीपीआर) कार्यशाला का आयोजन किया गया।

नर्सिंग काॅलेज के मेडिकल सर्जिकल विभाग की ओर से आयोजित कार्यशाला में बीएससी नर्सिंग द्वितीय वर्ष, पोस्ट बीएससी प्रथम वर्ष, जीएनएम द्वितीय वर्ष व एमएससी प्रथम वर्ष के 169 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

हिमालयन काॅलेज ऑफ़ नर्सिंग में आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुये डाॅ. संचिता पुगाजंडी ने कहा कि कॉर्डियो पल्मोनरी रिससिएशन (सीपीआर) तकनीक के प्रयोग से किसी व्यक्ति की सांस व दिल की धड़कन अचानक रुक जाने पर उसे बचाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि (सीपीआर) तकनीक का ज्ञान मेडिकल के छात्रों के साथ नाॅन क्लिीनिकल छात्रों को भी होना चाहिए, जिससे की जरूरत पड़ने पर किसी का जीवन बचाया जा सके।

उन्होंने कहा कि देश में हर साल लाखों लोगों की दिल की बीमारी की वजह से मौत हो जाती है।

इनमें से पचास फीसदी लोगों की मौत वक्त पर अस्पताल न पहुंच पाने की वजह से होती है।

ऐसे में सीपीआर तकनीक किसी जीवनदायिनी से कम नहीं।

मेडिकल सर्जिकल विभागाध्यक्ष डाॅ. कमली प्रकाश ने कहा कि अगर किसी शख्स को दिल का दौरा पड़ा है तो उसकी जीवन की रक्षा के लिए शुरुआती कुछ मिनट बेहद अहम होते है

ऐसे में सीपीआर तकनीक का इस्तेमाल कर प्रभावित व्यक्ति का जीवन बचाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक लोगों को इस जीवनदायी तकनीक का प्रशिक्षण लेना चाहिए। क्योंकि आपातकालीन स्थिति से सामना कहीं भी और कभी भी हो सकता है।

कार्यशाला में उपस्थित छात्र-छात्राओं ने पुतलों पर सीपीआर देने का अभ्यास किया और वीडियो के माध्यम से सीपीआर की तकनीक को समझा।

इस अवसर पर आयोजन समिति के राजेश कुमार शर्मा, प्रिया जेपी नारायण, प्रीति प्रभा, नीलम थापा, संध्या चाको, रजनी राणा, ज्योति रावत आदि उपस्थित थे।

सीपीआर कैसे करें-

सबसे पहले मरीज को किसी ठोस जगह पर लिटा दे और आप उसके पास घुटनो के बल बैठ जाए।

उसकी नाक और गाला चेक करे कही कुछ अटक तो नहीं गया है ?

स्वास नलिका बेहोश अवस्था में सिकुड़ सकती है। उसके मुह में ऊँगली डाल कर चेक करे कुछ अटक तो नहीं है।

सीपीआर की दो प्रकियाएं है।

हथेली से छाती पर दबाव डालना और मुह से कृत्रिम सांस देना।

पेशंट के सीने के बीचो बीच हथेली रखकर पंपिंग करते हुए दबाए ।एक से दो बार ऐसा करने से धड़कने फिर से शुरू हो जाएगी।

पम्पिंग करते वक्त दूसरे हाथ को पहले हाथ के ऊपर रख कर उंगलियो से बांध ले अपने हाथ और कोहनी को सीधा रखे।

अगर पम्पिंग करते वक्त धड़कने शुरू नहीं हो रही तो पम्पिंग के साथ मरीज को कृत्रिम सांस देने की कोशिश करे।

हथेली से छाती को 1 -2 इंच दबाए ऐसा प्रति मिनट में 100 बार करे।

30 बार छाती पर दबाव बनाए और दो बार कृत्रिम साँस दे। 

 

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