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SRHU में हॉवर्ड प्रो. रुस्तगी ने दिया “भारत की सांस्कृतिक विरासत और वैश्विक भविष्य” पर व्याख्यान

डोईवाला के जॉलीग्रांट स्थित स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी (SRHU) में एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया हॉवर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका के सेंटर फॉर ग्लोबल बिज़नेस स्टडीज़ के निदेशक प्रो. नरेंद्र के. रुस्तगी इसके मुख्य वक्ता रहे उन्होंने भारत के गौरवशाली इतिहास,सांस्कृतिक विरासत,धरोहर को रेखांकित किया उन्होंने बताया कि वर्तमान में किस प्रकार भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहा है विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने प्रो. रुस्तगी का औपचारिक स्वागत किया डॉ धस्माना ने शॉल एवं स्मृति चिह्न देकर उन्हें सम्मानित किया

• SRHU जॉलीग्रांट में विशेष व्याख्यान का हुआ आयोजन

• हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के प्रो. नरेंद्र के. रुस्तगी रहे मुख्य वक्ता

• भारत की महानता,संस्कृति,आध्यात्मिकता,जीवन दर्शन में

• भारत ने विश्व को यह सिखाया ‘जीवन कैसे जिया जाए’

• विभिन्न क्षेत्रों में भारत दर्ज करा रहा सशक्त उपस्थिति

देहरादून,30 जुलाई,2025 : डोईवाला के जॉलीग्रांट स्थित Swami Rama Himalayan University स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, में “भारत: गौरवशाली अतीत से उज्ज्वल भविष्य की ओर” विषय पर एक विशिष्ट व्याख्यान आयोजित किया गया.

इसमें हॉवर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका (Harvard University,USA) के सेंटर फॉर ग्लोबल बिज़नेस स्टडीज़ के निदेशक प्रो. नरेंद्र के. रुस्तगी मुख्य वक्ता रहे.

उन्होंने भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत, जीवन मूल्यों, सामाजिक समरसता, और वैश्विक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला.

विश्वविद्यालय के बीसी रॉय सभागार में इस विशेष व्याख्यान को आयोजित किया गया.

प्रो. नरेंद्र के. रुस्तगी ने बताया कि भारत की महानता केवल उसकी आर्थिक या तकनीकी प्रगति में नहीं, बल्कि उसकी हजारों वर्षों पुरानी संस्कृति, आध्यात्मिकता, और जीवन दर्शन में निहित है.

प्रो. नरेंद्र के. रुस्तगी ने वेदों, उपनिषदों, आयुर्वेद, योग, और गणित-ज्योतिष जैसे विषयों में भारत के ऐतिहासिक योगदान को रेखांकित किया.

उन्होंने बताया कि किस प्रकार भारत ने विश्व को ‘जीवन कैसे जिया जाए’ यह सिखाया है.

प्रो. रुस्तगी ने भारत के भविष्य की संभावनाओं पर भी विस्तार से चर्चा की.

उन्होंने कहा कि भारत अब एक बार फिर वैश्विक मंच पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहा है — तकनीक, स्टार्टअप्स, शिक्षा, विज्ञान, और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के क्षेत्र में.

भारत की युवा पीढ़ी यदि अपने अतीत से प्रेरणा लेकर भविष्य का निर्माण करे, तो भारत को पुनः विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता.

इससे पहले विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने प्रो. रुस्तगी का औपचारिक स्वागत किया.

शॉल एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया.

डॉ. धस्माना ने कहा कि प्रो. रुस्तगी जैसे विद्वान का मार्गदर्शन विश्वविद्यालय परिवार के लिए अत्यंत प्रेरणादायी है.

इस व्याख्यान में कुलसचिव कमांडर से.नि. चल्ला वैकटेश्वर सहित सहित बड़ी संख्या में छात्रों, शोधार्थियों और संकाय सदस्यों ने भाग लिया.

व्याख्यान का संचालन एकता राव व अपूर्वा त्रिवेदी ने किया.

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