“बिना छाती खोले पहली बार हार्ट की बाईपास सर्जरी”,डॉक्टरों ने किया कमाल
"Heart bypass surgery for the first time without opening the chest", doctors did wonders

• एम्स के डॉक्टरों ने बिना छाती खोले पहली बार हार्ट की बाईपास सर्जरी की
• 69 वर्षीय बुजुर्ग मरीज को चार महीने से थी हृदय संबंधी परेशानी
• तकनीक और अनुभव के संगम से मिली यह ऐतिहासिक सफलता
• संस्थान की निदेशक ने चिकित्सकों की टीम को दी बधाई
देहरादून,9 मई 2025 ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : एम्स, उत्तराखंड के Cardiothoracic and Vascular Surgery कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग के सर्जन चिकित्सकों ने एक ऐसी उपलब्धि हासिल की है,
जो चिकित्सा इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है.
डॉक्टरों की टीम ने बिना छाती में चीरा लगाए और हड्डी काटे एक 69 वर्षीय बुजुर्ग मरीज की सफल हार्ट बाईपास सर्जरी की है.
आमतौर पर, इस तरह की सर्जरी के लिए छाती की हड्डियों को काटकर हृदय तक पहुंचा जाता है.
मरीज की प्रतिक्रिया:
सहारनपुर निवासी 69 वर्षीय राम गोपाल पिछले चार महीनों से हृदय संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे
ऑपरेशन के बाद होश में आने पर उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि उनकी इतनी बड़ी सर्जरी बिना किसी चीर-फाड़ के हो गई.
उन्होंने इस प्रक्रिया को किसी चमत्कार से कम नहीं बताया
राम गोपाल ने बताया कि 26 मार्च को वह एम्स आए थे.
और 21 अप्रैल को एंजियोग्राफी के बाद उन्हें कोरोनरी आर्टरी डिजीज का पता चला.
डॉक्टरों ने तुरंत सर्जरी की सलाह दी और 30 अप्रैल को उनकी बाईपास सर्जरी सफलतापूर्वक की गई.
अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले उन्होंने अपनी अच्छी सेहत और आराम का अनुभव साझा किया
एम्स निदेशक की प्रशंसा:
संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने इस अभूतपूर्व सफलता के लिए सर्जरी करने वाले चिकित्सकों की टीम की सराहना की।
उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि चिकित्सा सुविधा के क्षेत्र में संस्थान के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
सर्जरी टीम और प्रक्रिया:
इस जटिल सर्जरी को मुख्य शल्य चिकित्सक डॉ. राजा लाहिड़ी के नेतृत्व में अंजाम दिया गया।
टीम में एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. अजय कुमार, सीटीवीएस के डॉ. शुभम रावत, डॉ. पूजा और डॉ. जूही शामिल थे।
डॉ. लाहिड़ी ने बताया कि एंजियोग्राफी के बाद हृदय में ब्लॉकेज का पता चलने पर बाईपास सर्जरी का निर्णय लिया गया।
यह एम्स में पहली बार की गई मिनिमली इनवेसिव टोटल आर्टीरियल कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी है।
सी.टी.वी.एस. के विभागाध्यक्ष डॉ. अंशुमान दरबारी ने बताया कि मरीज की उम्र को देखते हुए यह सर्जरी उच्च जोखिम वाली थी, लेकिन चार घंटे के अथक प्रयास के बाद टीम ने इसे सफलतापूर्वक संपन्न किया।
कोरोनरी आर्टरी डिजीज और इसका इलाज:
कोरोनरी आर्टरी डिजीज एक ऐसी स्थिति है
जिसमें हृदय की मांसपेशियों तक खून पहुंचाने वाली धमनियों में रुकावट आ जाती है,
जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
डॉ. दरबारी ने बताया कि बाईपास सर्जरी इस बीमारी का एक महत्वपूर्ण इलाज है।
सामान्य बाईपास सर्जरी में छाती में चीरा लगाया जाता है,
लेकिन इस नवीनतम तकनीक में ऐसा नहीं किया गया।
उन्होंने यह भी बताया कि एम्स में अब तक 250 से अधिक बाईपास सर्जरी की जा चुकी हैं,
लेकिन यह पहली बार है जब छाती की हड्डी काटे बिना यह प्रक्रिया की गई है।
कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लक्षण:
इस बीमारी के सामान्य लक्षणों में तेज चलने या चढ़ाई चढ़ने के दौरान सीने में दर्द, भारीपन या घबराहट शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, रोगी को सांस फूलना, धड़कन तेज होना और बार-बार थकान महसूस हो सकती है।
यह स्थिति कभी भी हार्ट अटैक का कारण बन सकती है।