Harish Rawat Political Tweet :हरीश रावत के ट्वीट से मची खलबली,कौन हैं सत्ता के मगरमच्छ ? कौन बांध रहा हाथ-पांव ?
Harish Rawat Political Tweet
उत्तराखंड इलेक्शन कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ट्वीट से खलबली मची हुई है उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि उन्हें कांग्रेस संगठन का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है
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*उत्तराखंड कांग्रेस इलेक्शन कैंपेन कमिटी के अध्यक्ष हरीश रावत ने किये ट्वीट,मची खलबली
*हरीश रावत ने अपने ही संगठन के रवैय्ये पर उठाये सवाल,भूमिका को बताया नकारात्मक
*परोक्ष हमला बोला,कहा सत्ता ने छोड़े हैं कईं मगरमच्छ,अब विश्राम का है समय
*बाबा केदार से मांगा मार्गदर्शन,उहापोह की बतायी स्थिति,न दैन्यं न पलायनम की कही बात
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रजनीश प्रताप सिंह ‘तेज’
देहरादून : उत्तराखंड की राजनीति में ताजा खबर कांग्रेस से आ रही है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने ट्वीट करके अपने ही पार्टी संगठन की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिये हैं जिसे पार्टी अंतर्कलह के तौर पर देखा जा रहा है
पार्टी संगठन की नकारात्मक भूमिका
हरीश रावत ने अबसे लगभग तीन घंटे पहले किये गये अपने ट्वीट में लिखा है ,
“है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। जिस समुद्र में तैरना है,”
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#चुनाव_रूपी_समुद्र
है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। जिस समुद्र में तैरना है,
1/2 pic.twitter.com/wc4LKVi1oc— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) December 22, 2021
उनके इस ट्वीट से अब प्रश्न यह उठता है कि संगठन के ढांचे में वो कौन हैं जिनकी कार्यशैली से वो खफा हैं ?
कौन हैं ये सत्ता के मगरमच्छ ?
हरीश रावत ने अपने ट्वीट में कहा है कि,
” सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि #हरीश_रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है! “
सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि #हरीश_रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है!
2/3— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) December 22, 2021
इस ट्वीट में एक बार फिर उन्होंने राजनीति के लिहाज से अप्रत्यक्ष लेकिन बेहद तीखा वार किया है सभी सोचने पर मजबूर हैं कि आखिर आखिर ये सत्ता के मगरमच्छ कौन हैं ? क्या ये राज्य या केंद्र की विपक्ष की सरकार के नुमाइंदे हैं या फिर अपनी पार्टी-संगठन के सत्ता की ओर टकटकी लगाये नेता हैं ?
न दैन्यं न पलायनम्
हरीश रावत ने ट्वीट में कहा है कि
फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है “न दैन्यं न पलायनम्” बड़ी उपापोह की स्थिति में हूंँ, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि #भगवान_केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।
हरीश रावत गजब के अंदाज में अपनी सारी भड़ास निकालने और निशाना साधने के साथ बड़ी ही मासूमियत से ‘न दैन्यं न पलायनम् ‘ की बात कहते हुये बाबा केदार पर मार्गदर्शन की बात करते हैं
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इंदिरा हृदयेश के बाद दो गुटों में बंटी कांग्रेस
उत्तराखंड कांग्रेस के कद्देवार नेता रही इंदिरा हृदयेश के 13 जून 2021 को निधन के बाद प्रदेश में कांग्रेस सीधे-सीधे प्रीतम सिंह और हरीश रावत गुट में बंटी नजर आ रही है
अब जब उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और खुद हरीश रावत स्टेट इलेक्शन कमिटी के चेयरमैन हैं ऐसे में उनके ये ट्वीट पार्टी के भीतर दूसरे गुट को निशाने पर लेते दिखायी दे रहे हैं
इसका एक बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि 73 वर्ष की उम्र के इस पड़ाव में वो इस चुनाव को अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण पारी मानकर चल रहे हैं
फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है "न दैन्यं न पलायनम्" बड़ी उपापोह की स्थिति में हूंँ, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि #भगवान_केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।#Uttarakhand @INCUttarakhand
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) December 22, 2021
क्यूंकि ऐसे में यदि कांग्रेस सत्ता में आती है तो यदि अभी से उनके मन मुताबिक संगठन नही चला तो कोई अन्य पार्टी से मुख्यमंत्री बन सकता है इस नौबत को टालने के लिय भी वो अभी से पार्टी-संगठन में अपनी पकड़ और सख्त करना चाहते हैं
इसीलिए पार्टी फोरम में न कहकर उन्होंने सार्वजनिक रूप से ट्वीट करके ‘संगठन की बेरुखी’ को जगजाहिर किया है
बहरहाल जो भी हो हरीश रावत के इन ट्वीट से उत्तराखंड की राजनीति का पारा हाई तो हो ही गया है
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