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स्पर्श हिमालय यूनिवर्सिटी डोईवाला में कार्बन न्याय ,ग्रीन एनर्जी और हिम नदियों के संरक्षण पर विचार-मंथन

Brainstorming on carbon justice, green energy and conservation of glacial rivers at Sparsh Himalaya University Doiwala

 

• हिमालय की पारिस्थितिकी और उसके संरक्षण पर जोर

• ग्रीन एनर्जी और हिम नदियों के संरक्षण की आवश्यकता

• हिमनदों के पिघलने और जलवायु परिवर्तन के खतरे

• कार्बन न्याय और हिमालय से जुड़े लोगों का कल्याण

देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय के फतेहपुर परिसर में आज हिमालय दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में हिमालय की पारिस्थितिकी, ग्रीन एनर्जी, हिम नदियों के संरक्षण और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों जैसी अहम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, सुप्रसिद्ध शिक्षाविद और वैज्ञानिक डॉ. राजेश नैथानी ने हिमालय की विशिष्ट पारिस्थितिकी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिमालय के लिए विशेष योजनाएं बनाने की आवश्यकता है।

उन्होंने ग्रीन एनर्जी और हिम नदियों के संरक्षण को हिमालय दिवस से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे बताया।

विश्वविद्यालय के कुलपति काशीनाथ जैना ने हिमालय को एक जटिल परिस्थितियों वाला क्षेत्र बताते हुए कहा कि हमें जमीनी स्तर पर काम करने की आवश्यकता है।

पूर्व भारतीय वन सेवा अधिकारी विनोद उनियाल ने अपने बचपन के अनुभव साझा करते हुए हिमालय के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि हिमालय एक जीवित व्यवस्था है और इसके संरक्षण के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।

पूर्व कुलपति डॉ. एस. पी. सिंह ने हिमालय को तीसरा ध्रुव बताते हुए हिमनदों के पिघलने और जलवायु परिवर्तन के खतरों पर चिंता व्यक्त की।

उन्होंने कार्बन न्याय की बात करते हुए हिमालय से जुड़े लोगों के कल्याण पर जोर दिया।

कुलाधिपति डॉ. प्रदीप कुमार भारद्वाज ने हिमालय को प्रेम करने वाले डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक का धन्यवाद करते हुए कहा कि स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय उनके समर्पण का प्रतीक है।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. रुपाली बरमोला ने किया।

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