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“विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस” पर हिमालयन हॉस्पिटल में चलाया अभियान जागरूकता

Awareness campaign conducted in Himalayan Hospital on "World Suicide Prevention Day"

देहरादून ( आर पी सिंह ) 10 सितंबर : हिमालयन हॉस्पिटल के क्लिनिकल मनोविज्ञान विभाग ने विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया।

इस कार्यक्रम में नाटक, पोस्टर प्रदर्शनी, रिबन वितरण और प्रतिज्ञा की दीवार जैसी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से लोगों को आत्महत्या की रोकथाम के बारे में जागरूक किया गया।

विभागाध्यक्ष डॉ. मालिनी श्रीवास्तव ने बताया कि दुनिया भर में आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

उन्होंने कहा, “आत्महत्या कोई समाधान नहीं है।

इस समस्या से उबरने के लिए कई तरीके हैं।

हमें जागरूकता फैलाने और आत्महत्या के विचारों से जूझ रहे लोगों को सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है।”

कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने नाटक के माध्यम से आत्महत्या के कारणों और इसके संकेतों को दर्शाया।

उन्होंने बताया कि कैसे हम अपने आसपास के लोगों की मदद कर सकते हैं जो आत्महत्या के विचारों से जूझ रहे हैं।

नाटक में दर्शकों को समझाया गया कि कैसे पारिवारिक विवाद, नैतिक दबाव, आर्थिक तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं आत्महत्या के कारण बन सकती हैं।

इसके अलावा, पोस्टर प्रदर्शनी के माध्यम से आत्महत्या रोकथाम के संदेशों को लोगों तक पहुंचाया गया।

पोस्टरों पर आत्महत्या रोकथाम के महत्वपूर्ण संदेश जैसे “बातचीत शुरू करें,” “आप अकेले नहीं हैं,” और “सहायता उपलब्ध है” लिखे थे।

रिबन वितरण के दौरान लोगों को आत्महत्या रोकथाम के प्रतीक के रूप में रिबन बांटे गए।

प्रतिज्ञा की दीवार पर लोगों ने आत्महत्या रोकथाम के लिए प्रतिज्ञा लिखी,

जिससे वे अपनी प्रतिबद्धता को व्यक्त कर सके।

नैदानिक मनोविज्ञान के पीएचडी शोधार्थी रूही जैन और कृति मिश्रा ने कालसी और बहदराबाद के स्कूलों में छात्रों को आत्महत्या के पूर्व के लक्षणों की पहचान करने और आत्महत्या रोकथाम के तरीकों के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने छात्रों को बताया कि कैसे आत्महत्या के विचारों को पहचानना और समय पर सहायता लेना महत्वपूर्ण है।

उन्होंने छात्रों को आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन नंबरों के बारे में भी जानकारी दी।

इस कार्यक्रम के माध्यम से हिमालयन हॉस्पिटल ने आत्महत्या रोकथाम के प्रति जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

यह प्रयास लोगों को आत्महत्या के बारे में खुलकर बात करने और सहायता लेने के लिए प्रोत्साहित करता है।

इसके साथ ही आत्महत्या से सम्बंधित विचारों को रोकने के लिए डॉ स्वामी राम द्वारा बताये गए होलिस्टिक हेल्थ प्रैक्टिस मॉडल से सम्बंधित तरीकों के बारे में विस्तार से से जानकारी दी।

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