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जानिये कौन है डोईवाला का लाल, जो हँसते-हँसते झूल गया फांसी पर,डोईवाला में मनाया जन्मदिन

आज डोईवाला के एक ऐसे लाल ( सुपुत्र ) का जन्मदिन है जिसने न केवल डोईवाला का बल्कि पूरे हिंदुस्तान का सर ऊँचा किया है.
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प्रियंका प्रताप सिंह

देहरादून: इतनी छोटी सी उम्र (मात्र 18 साल) में सेना में भर्ती हुआ और मेजर पद तक पंहुचा और एक खुफिया मिशन को अंजाम देता हुआ दुश्मनो के हाथ लग गया.

जी हाँ हम बात कर रहे है अमर शहीद “मेजर दुर्गा मल्ल” की.

आज ही के दिन देहरादून के डोईवाला में 1 जुलाई 1913 को जन्मे मेजर दुर्गा मल्ल ‘आजाद हिन्द फौज’ के पहले गोरखा सैनिक थे.

सन्न 1931 में मात्र 18 वर्ष की आयु में दुर्गा मल्ल गोरखा रायफल्स की 2/1 बटालियन में भर्ती हो गए.

चूँकि दुर्गामल्ल के पिता गंगाराम मल्ल छेत्री गोरखा राइफल्स में नायब सूबेदार थे इसलिये दुर्गा मल्ल सेना के बारे में पहले से ही रूबरू थे उनसे प्रभावित होकर मल्ल भी सेना में भर्ती हो गया.

बचपन से ही दुर्गामल्ल अपने साथ के बालकों में सबसे अधिक प्रतिभावान और बहादुर थे.

उन्होने गोरखा मिलिटरी मिडिल स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की, जिसे अब गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज के नाम से जाना जाता है.

जब हुयी युद्ध की घोषणा

दिसम्बर 1941 में जापानियों ने दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में तैनात मित्र सेना पर हमला करके युद्ध की घोषणा कर दी.

जब युद्ध में जाने से पहले अपने घरवालों से विदा लेने पहुंचे धर्मशाला

10 वर्ष तक सेना में सेवा देने के बाद जनवरी, 1941 में (युद्ध के लिए विदेश जाने से पूर्व) अपने घरवालों से दुर्गामल्ल विदा लेने धर्मशाला गए, और वहीं ठकुरि परिवार की कन्या शारदा देवी के साथ दुर्गा मल्ल का विवाह हुआ.

अप्रैल 1941 में दुर्गा मल्ल की टुकड़ी सिकन्दराबाद पहुंची जहां से उसे आगे विदेश रवाना होना था.

अपने सैनिक धर्म को निभाते हुए दुर्गामल्ल 23 अगस्त 1941 को बटालियन के साथ मलाया रवाना हुए.

हुयी पदोन्नति

जापान की मदद से 1 सितम्बर 1942 को सिंगापुर में आजाद हिन्द फौज का गठन हुआ, जिसमें दुर्गा मल्ल की बहुत सराहनीय भूमिका थी.
इसके लिए मल्ल को मेजर के रूप में पदोन्नत किया गया.

उन्होने युवाओं को आजाद हिन्द फ़ौज में शामिल करने में बड़ा योगदान दिया.

जब मल्ल बने गुप्तचर

गुप्तचर शाखा का महत्वपूर्ण कार्य दुर्गा मल्ल को सौंपा गया.

27 मार्च 1944 को महत्वपूर्ण सूचनाएं एकत्र करते समय दुर्गा मल्ल को शत्रु सेना ने मणिपुर में कोहिमा के पास उखरूल में पकड़ लिया.

युद्धबंदी बनाने और मुकदमे के बाद उन्हें बहुत यातना दी गई.

मिली फांसी

दुर्गा मल्ल को 15 अगस्त 1944 को लाल किले की सेंट्रल जेल लाया गया और दस दिन बाद 25 अगस्त 1944 को उन्हें फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया गया.

नगर पालिका डोईवाला में मनाया जन्मदिन

अमर शहीद मेजर दुर्गा मल्ल के 109 वा जन्म दिवस, नगर पालिका डोईवाला में उनके स्मारक पर धूम धाम से मनाया गया।

हेल्प क्रॉस ट्रस्ट के सचिव विशाल थापा ने कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

कार्यक्रम में मुख्य रूप से डोईवाला नगर पालिका अध्यक्षा सुमित्रा मनवाल, उत्तम सिंह नेगी, अधिशासी अधिकारी, शालिग्राम शास्त्री, अनिल भंडारी, दिल बहादुर खत्री, चंद्र बहादुर छेत्री, कुलदीप खत्री, शांति थापा, आदि अनेक संघ संस्थाएं व समितियों के सदस्य उपस्थित रहे.

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