रामनगर “अस्पताल से मोर्चरी तक ई-रिक्शा” में ले जाया गया शव,बैठायी उच्चस्तरीय जांच
Ramnagar: Dead body was taken from hospital to mortuary in e-rickshaw, high level investigation ordered

देहरादून,23 मई 2025 ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : उत्तराखंड के रामनगर उप-जिला चिकित्सालय में एक बेहद अमानवीय घटना सामने आई है,
जहाँ एक युवक के पार्थिव शरीर को अस्पताल से मोर्चरी तक ई-रिक्शा में ले जाया गया.
इस संवेदनशील मामले के सोशल मीडिया पर आने के बाद, स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल और गंभीरता से इसका संज्ञान लिया है.
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने इस लापरवाही को ‘बर्दाश्त न करने’ की बात कहते हुए कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं,
साथ ही जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन भी किया है.
क्या है मामला ?
यह मामला रामनगर के उप-जिला चिकित्सालय से जुड़ा है,
जहाँ एक युवक के पार्थिव शरीर को गरिमापूर्ण तरीके से ले जाने के बजाय ई-रिक्शा का इस्तेमाल किया गया.
इस घटना ने मानवीय गरिमा और अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने इस घटना को अत्यंत निंदनीय करार देते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है,
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “इस तरह की अमानवीय लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा”
इस मामले की गहन जांच के लिए उन्होंने तत्काल प्रभाव से एक तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है.
- समिति की अध्यक्षता: चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशक.
- अन्य सदस्य: निदेशक प्रशासन और निदेशक स्वास्थ्य, कुमाऊं मंडल.
- रिपोर्ट सौंपने की समय-सीमा: समिति को 30 मई तक अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं.
सीएमओ और सीएमएस से विस्तृत आख्या तलब
जांच प्रक्रिया को और गति देते हुए, स्वास्थ्य सचिव ने नैनीताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) और रामनगर के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, उप जिला चिकित्सालय से भी विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
- रिपोर्ट जमा करने की समय-सीमा: दोनों अधिकारियों को 26 मई तक अपनी विस्तृत आख्या प्रस्तुत करनी होगी.
- जांच का प्रमुख बिंदु: रिपोर्ट में विशेष रूप से इस बात का उल्लेख होना चाहिए कि उप-जिला चिकित्सालय में शव वाहन या एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध क्यों नहीं थी.
दोषियों पर कड़ी कार्रवाई और भविष्य के लिए निर्देश
डॉ. आर. राजेश कुमार ने स्पष्ट किया है कि इस घटना में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.
उन्होंने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (CMO) को भी निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में अस्पतालों में शव वाहन की उपलब्धता सुनिश्चित करें
और भविष्य में ऐसी किसी भी घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं.
स्वास्थ्य सचिव ने अपनी बात को दोहराते हुए कहा, “यह हमारी नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है कि हर व्यक्ति को, चाहे वह जीवित हो या मृत, गरिमा के साथ सेवा और व्यवहार मिले”
उन्होंने आगे कहा कि हमारी प्राथमिकता केवल इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि अंतिम यात्रा तक भी गरिमा बनाए रखना हमारी ज़िम्मेदारी है.
यह कदम प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में जवाबदेही और संवेदनशीलता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.