
भारतीय लोकतंत्र जनता को अपना प्रतिनिधि चुनने का अवसर प्रदान करता है एक जनप्रतिनिधि के लिए आम जनता द्वारा उसमें कुछ आकांक्षा,योग्यता को ढूंढा जाता है
इन्ही कुछ विषयों पर इस लेख में डोईवाला विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी गौरव सिंह को आंकने की कोशिश की गयी है
> डोईवाला सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं गौरव सिंह (गिन्नी)
> कईं पीढ़ियों से डोईवाला में रहने से हर मुद्दे से हैं वाकिफ
> डोईवाला में आसानी से कहीं भी मिल सकते हैं गौरव सिंह
> मुद्दों पर डोईवाला के लिए हर संघर्ष में गौरव की रही भूमिका
वेब मीडिया के विश्वसनीय नाम
यूके तेज़ से जुड़ने के लिये
वाट्सएप्प करे 8077062107
रजनीश प्रताप सिंह ‘तेज’
देहरादून : उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं सूबे की बेहद प्रतिष्ठित मानी जाने वाली डोईवाला विधानसभा सीट से कांग्रेस के गौरव सिंह (गिन्नी) अधिकृत प्रत्याशी हैं
उनकी मौजूदा स्थिति को यूके तेज के वरिष्ठ पत्रकार रजनीश प्रताप सिंह ‘तेज’ के द्वारा आंकलन करने के साथ ही इसका विश्लेषण किया गया है
जिसमें इन पांच कारणों की वजह से उनकी डोईवाला सीट पर स्थिति मजबूत प्रतीत हो रही है
(1) डोईवाला का लोकल जाना-पहचाना चेहरा
लोकतंत्र में चुनाव जीतने के लिये आम जनता के बीच पहचान का मजबूत होना एक अच्छा संकेत माना जाता है इस पैमाने पर गौरव सिंह खरे उतरते हैं
दादा से लेकर पोते तक डोईवाला इनके पूरे परिवार और व्यवहार से भली भांति परिचित है
गौरव सिंह (गिन्नी) को डोईवाला विधानसभा में किसी भी प्रकार से आईडेंटिटी क्राइसिस नहीं है यानि उन्हें डोईवाला में “पहचान का संकट” नहीं है
वह एक जाना-पहचाना चेहरा है
कांग्रेस प्रत्याशी गौरव सिंह (गिन्नी) अपने पुराने पारिवारिक उपस्थिति की वजह से डोईवाला के लिए एक जाना पहचाना चेहरा है उनके दादा बलवंत सिंह इस क्षेत्र के एक प्रभावशाली व्यक्ति रहे गौरव सिंह (गिन्नी) के पिता सुमंत सिंह दूधली और डोईवाला क्षेत्र में अच्छी-खासी पहचान रखने वाले शख्स रहे हैं
खुद गौरव सिंह डोईवाला ट्रक ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं उनसे पहले उनके पिताजी इस एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं
(2) डोईवाला की जन समस्याओं के लिए संघर्ष
जनता अपने जनप्रतिनिधि में एक गुण यह भी देखती है कि क्या वोट मांगने आने वाला व्यक्ति जन समस्याओं के लिए संघर्ष करता है अथवा नहीं
इस कसौटी पर भी गौरव खरे उतरते हैं
डोईवाला के किसानों के जीविकोपार्जन का एक बड़ा सहारा है गन्ने की उपज, ऐसे में गन्ना किसानों की समस्याओं के निदान के लिए गौरव सिंह (गिन्नी) समय-समय पर गन्ना किसानों की समस्याओं के हल के लिये धरना प्रदर्शन करने में अग्रणी भूमिका में रहे हैं
डोईवाला के लच्छीवाला में टोल संग्रहण कंपनी के द्वारा जब स्थानीय निवासियों के साथ-साथ लोकल टैक्सी,मैक्सी,जीप,टाटा मैजिक, सिटी बस इत्यादि पर जब टोल का भार डाला गया तो उनके हितों के लिये संघर्ष करने वाले चेहरों में गौरव सिंह गिन्नी की प्रमुख भूमिका रही है
उन्होंने कंपनी के मैनेजर के साथ लंबी और प्रभावशाली वार्ता करके इसका हल निकालने में अपनी भूमिका निभाई है
केंद्र सरकार द्वारा पूर्व में लागू किये गये तीन कृषि कानूनों को लेकर डोईवाला क्षेत्र में प्रमुख झंडा बरदार गौरव सिंह गिन्नी रहे हैं वह किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली से लेकर डोईवाला तक सभी जगह सक्रिय भूमिका में रहे हैं
(3) चुनाव जीतने का दमखम
कांग्रेस प्रत्याशी ‘गौरव सिंह’ के लिए ‘राजनीति’ और ‘राजनीति’ के लिए ‘गौरव सिंह’ नए नहीं है
जिसका उन्हें सीधा लाभ मिलता हुआ प्रतीत हो रहा है
कांग्रेस प्रत्याशी गौरव सिंह गिन्नी के दादा से लेकर उनके पिताजी और वह स्वयं राजनीति में रचे बसे हुए हैं
उनके दादा और पिताजी भी जनता के बीच कार्य करने के लिए जाने जाते हैं
गौरव सिंह खुद ट्रक यूनियन के नेता है उनकी पत्नी टीना सिंह जिला पंचायत सदस्य है इसलिए वह राजनीति के दांव पेंच भली-भांति समझते हैं
गौरव सिंह को कांग्रेस पार्टी में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का करीबी माना जाता है
(4) बागी प्रत्याशी नहीं होने से लाभ
डोईवाला विधानसभा सीट की खास बात यह है कि जहां भारतीय जनता पार्टी की पृष्ठभूमि वाले एक प्रत्याशी निर्दलीय के तौर पर लड़ रहे हैं
वहीं तीन अन्य भाजपा पार्टी कार्यकर्त्ता डोईवाला सीट से बतौर प्रत्याशी नामांकन करने के बाद बड़े नेताओं द्वारा समझाने बुझाने के बाद अपना नाम वापस ले चुके हैं
इसके मुकाबले कांग्रेस में ऐसी कोई परिस्थिति दिखाई नहीं दे रही है गौरव सिंह के खिलाफ कांग्रेस पार्टी से एक भी बागी प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं है बागी प्रत्याशी का ना होना भी गौरव सिंह के पक्ष में ही जाता हुआ दिखाई दे रहा है
(5) मोदी लहर का फीका पड़ता असर
2017 के विधानसभा चुनाव में पूरे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक जबरदस्त लहर थी और इसी लहर के चलते उत्तराखंड की जनता ने बीजेपी को प्रचंड बहुमत दिया था जिस लहर की वजह से बहुत से बीजेपी कैंडिडेट चुनाव जीतने में सफल रहे
लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर का असर मंद पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है इसके साथ ही भाजपा सरकार के प्रति एंटी इनकंबेंसी का अंडर करंट भी महसूस किया जा सकता है
यह पहलू भी गौरव सिंह को एक मजबूत प्रत्याशी के रूप में पेश करता है