( मानसून-सत्र ) 25 अगस्त को विधानसभा पर धरना-प्रदर्शन करेंगें,उत्तराखंड के ट्रांसपोर्ट व्यवसायी
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-रजनीश सैनी की रिपोर्ट
देहरादून : कोविड की वजह से चौपट व्यवसाय की मार झेल रहे उत्तराखंड के ट्रांसपोर्टर्स अब सूबे की सरकार के सामने अपनी आवाज बुलंद करने के लिये विधानसभा पर सांकेतिक धरना-प्रदर्शन करने जा रहे हैं।
उत्तराखंड परिवहन महासंघ के बैनर तले कईं संगठन इसके लिये एकजुट होकर इसका हिस्सा बनेंगें।
गौरतलब है कि आगामी 23 अगस्त से उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है।ऐसे में ट्रांसपोर्ट कारोबारियों की नाराजगी सरकार के लिये मुसीबत का सबब बन सकती है।
जब निकाला “दांडी मार्च” की तर्ज पर “पैदल मार्च ” :—
बीती 19 जून को टूरिज्म,ट्रांसपोर्ट और होटल व्यवसाय से जुड़े संगठनों ने हरिद्वार से देहरादून विधानसभा तक “दांडी मार्च” की तर्ज पर पदयात्रा निकाली थी।
इस पदयात्रा में एक आंदोलनकारी बाकायदा महात्मा गाँधी की वेशभूषा में पदयात्रा की अगुवाई कर रहा था।
तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को सीएम प्रतिनिधि के तौर पर भेजकर हल निकालने की मशक्कत शुरू की थी।
ये है ट्रांसपोर्टर्स का दर्द-ए-हाल :—
उत्तराखंड परिवहन महासंघ के पदाधिकारियों और सरकार की वार्ता के कईं दौर के बाद पुष्कर धामी सरकार ने लगभग 200 करोड़ के पैकेज की घोषणा की।जिसमें चालक-परिचालक को 2000 रुपये प्रतिमाह की दर से छह माह के 12000 रुपये दिए गये।
लेकिन ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े वाहन मालिकों की समस्या का हल नही निकल पाया है।
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्टर कांग्रेस के प्रदेश महासचिव आदेश सैनी का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण ट्रांसपोर्टर्स कारोबारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
एक ओर फाइनेंस कंपनी और बैंक वाहनों की किश्तें जमा करने का दबाव बना रही हैं वहीं दूसरी ओर परिवहन विभाग खड़ी गाड़ियों के टैक्स जमा करने का दबाव बना रहा है।
वाहन मालिक टैक्स,इंश्योरेंस,परमिट,रजिस्ट्रेशन फीस,टोल टैक्स की बढ़ी कीमतों की मार झेल रहा है।
अब क्या हैं ट्रांसपोर्टर्स की मांगें :—
उत्तराखंड परिवहन महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सुधीर रॉय ने बताया कि हम सरकार से अपनी जायज मांगों को लेकर सकारात्मक हल चाहते हैं।
हमारी प्रमुख दो मांगें हैं :–
(1) दो साल का टैक्स हो माफ़ :—
प्रदेश अध्यक्ष सुधीर रॉय बताते हैं कि उत्तराखंड का ट्रांसपोर्ट कारोबार,पर्यटन पर निर्भर है।कोरोना महामारी में टूरिज्म के साथ ही ट्रांसपोर्ट कारोबार भी लगभग चौपट हो गया है।
सरकार की नयी सरेंडर पॉलिसी के तहत हम 6 माह से अधिक वाहन को सरेंडर नही कर सकते हैं।जिसकी वजह से हमें अनावश्यक रूप से टैक्स भरने का दबाव झेलना पड़ रहा है।
हमारी मांग है कि ट्रांसपोर्ट कारोबारियों का दो साल का टैक्स माफ़ किया जाये।
(2) नयी स्क्रैप पॉलिसी का पचड़ा :–
भारत सरकार की नयी वाहन कबाड़ निति भी ट्रांसपोर्ट कारोबारियों के दर्द का सबब बनी हुई है।
सुधीर रॉय बताते हैं कि जब कोरोना की वजह से दो सालों से ट्रांसपोर्ट व्यवसाय के वाहन खड़े हुये हैं तो ऐसे में सरकार की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वो स्वतः ही वाहनों की आयु सीमा में दो साल का इजाफा करे।
हमारी सरकार से मांग है कि वो केंद्र सरकार से वार्ता कर उत्तराखंड के कमर्शियल वाहनों की आयु सीमा में दो साल की वृद्धि करे।