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( दिलचस्प) 30,000 वर्ष पूर्व पाषाण युग में भी ‘गणित’ उपयोग के हैं साक्ष्य,नेशनल वेबिनार में आये रोचक तथ्य सामने

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देहरादून : आज शहीददुर्गा मल्ल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय डोईवाला

एवं पंडित ललित मोहन शर्मा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ऋषिकेश

के गणित विभाग द्वारा संयुक्त रुप से एक दिवसीय राष्ट्रीय बेबीनार का आयोजन किया गया।

जिसका विषय “हिस्ट्री ऑफ कंप्लीट मैथमेटिक्स” था।

30000 वर्ष पूर्व के हैं साक्ष्य :—

वेबीनार में मुख्य वक्ता के रूप में खालसा कॉलेज पटियाला से प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने बताया कि

लगभग 30000 वर्ष पूर्व पाषाण युग में भी गणित के उपयोग के साक्ष्य मिलते हैं।

मेसोपोटामिया के सुमेर,असीरिया आदि में अर्थमेटिक,अलजेब्रा और ज्योमेट्री के प्रमाण मिलते हैं।

अर्थमेटिक और ज्योमेट्री का सबसे प्राचीन और

सर्वविख्यात उदाहरण पाइथागोरस प्रमेय के रूप में मिलता है।

इसी प्रकार सिंधु-घाटी सभ्यता के शहर एक विशेष ज्यामितीय रूप से नियमित थे।

उन्होंने बहुत ही रोचक तरीके से यह बताया कि किस प्रकार से

गणित विषय का विकास हुआ एवं गणित के विकास से जुड़ी कहानियां भी बताई।

कौन हैं प्रोफेसर गुरमीत सिंह :–

खालसा कॉलेज पटियाला के प्रोफेसर गुरमीत सिंह की

लगभग 25 से अधिक पुस्तकें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हुई हैं

तथा लगभग 50 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र भी प्रकाशित हुए हैं।

इस राष्ट्रीय सेमिनार में लगभग 8 राज्यों के 250 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।

वेबीनार का संचालन डोईवाला महाविद्यालय की डॉक्टर दीपा शर्मा

एसोसिएट प्रोफेसर गणित डा० प्रीतपाल सिंह एसोसिएट प्रोफेसर गणित पीजी कॉलेज ऋषिकेश द्वारा किया गया।

उच्च शिक्षा निदेशक डॉ कुमकुम रौतेला, डोईवाला महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ डीसी नैनवाल एवं ऋषिकेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की प्राचार्य

डॉ सुधा भारद्वाज द्वारा भी वेबीनार को संबोधित किया गया।

इस अवसर इस अवसर पर डॉ पूनम पांडे,डॉक्टर पल्लवी मिश्रा, डॉ एसके कुडियाल, डॉ वंदना गौड़,

डा० राखी पंचोला, डॉ अनिल कुमार, डॉ सविता वर्मा, डॉक्टर सुजाता सिंह,

डॉ स्नेह लता, डॉ विभा कुमार, डॉक्टर हितेंद्र सिंह एवं डॉ पूजा कुकरेती आदि उपस्थित थे।

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