देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : उत्तराखंड पुलिस और गृह मंत्रालय के I4C (इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर) ने मिलकर एक बड़े अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह का भंडाफोड़ किया है।
यह गिरोह दक्षिण एशिया के कई देशों में फर्जी सिम कार्ड भेजने का काम कर रहा था।
Special Task Force, Uttarakhand (स्पेशल टास्क फोर्स) ने इस गिरोह के एक मास्टरमाइंड को हरिद्वार जिले के मंगलौर क्षेत्र से गिरफ्तार किया है।
ऑनलाइन निवेश के नाम पर धोखाधड़ी
देहरादून में एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई कि उसे फेसबुक पर एक कथित “मेटल एडवाइजर” द्वारा ठगा गया।
इस व्यक्ति ने एक वेबसाइट पर पैसा निवेश करके तीन गुना मुनाफा कमाने का दावा किया था।
शिकायतकर्ता ने पहले 10,000 रुपये निवेश किए
और उसे 23,776 रुपये मिले।
इसके बाद उसने और पैसे निवेश किए,
लेकिन बाद में उसे धोखा देकर एक लाख रुपये और जमा करने को कहा गया।
20 हजार से अधिक सिम कार्ड का जंजाल
गिरफ्तार किए गए मास्टरमाइंड ने अब तक 20,000 से अधिक सिम कार्ड को अवैध तरीके से सक्रिय किया था।
ये सिम कार्ड थाईलैंड, कंबोडिया, म्यांमार जैसे दक्षिण एशियाई देशों के साथ-साथ भारत के विभिन्न राज्यों में साइबर अपराधियों को उपलब्ध कराए गए थे।
इस कार्रवाई से न केवल भारत में, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र में चल रहे एक बड़े साइबर अपराध नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है।
Modus Operandi : महिलाओं को निशाना बनाकर फर्जी सिम का जाल
गिरफ्तार मास्टरमाइंड ने अपने क्षेत्र की महिलाओं को निशाना बनाया था।
वह घर-घर जाकर फर्जी सरकारी योजनाओं या कंपनियों की ओर से मुफ्त उपहार देने का झांसा देता था।
इस बहाने वह महिलाओं के आधार कार्ड, फोटो और बायोमेट्रिक डेटा हासिल करता था।
इस जानकारी का इस्तेमाल करके वह हजारों फर्जी सिम कार्ड सक्रिय करता था।
इन फर्जी सिम कार्डों को चीन और कंबोडिया से संचालित व्हाट्सएप ओटीपी ग्रुप के माध्यम से साइबर अपराधियों को बेचा जाता था।
हर ओटीपी के लिए 3 से 50 रुपये तक का मुनाफा कमाया जाता था।
इन सिम कार्डों का इस्तेमाल विदेशों में बैठे अपराधियों द्वारा व्हाट्सएप और अन्य एप्लिकेशन को सक्रिय करने के लिए किया जाता था।
फिर इन एप्लिकेशन का उपयोग करके वे भोले-भाले लोगों को फंसाते और उन्हें ऑनलाइन ट्रेडिंग या निवेश के नाम पर ठगते थे।
पुलिस की कार्रवाई: तकनीकी विश्लेषण से मिली सफलता
इस मामले की शुरुआत अप्रैल 2024 में हुई,
जब देहरादून के एक निवासी ने शिकायत दर्ज कराई कि उसे फेसबुक पर एक कथित ‘मेटल एडवाइजर’ ने ठगा है।
शिकायतकर्ता ने बताया कि उसे एक वेबसाइट पर निवेश करके तीन गुना मुनाफा कमाने का लालच दिया गया था।
शुरू में उसे कुछ लाभ भी हुआ, लेकिन बाद में उससे और अधिक पैसे की मांग की गई और अंत में उसे 50,000 रुपये का नुकसान हुआ।
इस शिकायत की गंभीरता को देखते हुए, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ ने एक विशेष टीम का गठन किया।
इंस्पेक्टर विकास भारद्वाज के नेतृत्व में इस टीम ने बैंक खातों, मोबाइल नंबरों, और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से संबंधित डेटा एकत्र किया।
इस डेटा के गहन विश्लेषण से कई महत्वपूर्ण सुराग मिले।
पुलिस ने पाया कि अपराधी महिलाओं के नाम पर फर्जी सिम कार्ड निकाल रहे थे।
इस जानकारी के आधार पर, पुलिस ने कई स्थानों पर छापेमारी की और अंततः मुख्य अभियुक्त सोहिल (काल्पनिक नाम) को गिरफ्तार किया।
उसके पास से 1,816 सिम कार्ड, दो चेकबुक, पांच मोबाइल फोन और दो बायोमेट्रिक डिवाइस बरामद किए गए।
इस मामले की जांच में एडिशनल एसपी चंद्रमोहन सिंह, पुलिस उपाधीक्षक आर.वी. चमोला, और एसटीएफ इंस्पेक्टर एन.के. भट्ट की टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा ने I4C, गृह मंत्रालय के साथ समन्वय करके मोबाइल नंबरों का विश्लेषण किया,
जिससे पता चला कि पूरे भारत में इस तरह की कई आपराधिक गतिविधियां चल रही थीं।
यह मामला अभी भी जांच के अधीन है,
और पुलिस को उम्मीद है कि इससे और भी कई महत्वपूर्ण खुलासे होंगे
जो न केवल भारत में, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में चल रहे साइबर अपराध नेटवर्क को समझने और रोकने में मदद करेंगे।
आप कैसे बचें
निलेश आनन्द भरणे पुलिस महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था उत्तराखण्ड द्वारा जनता से अपील की है कि
अज्ञात नंबरों से सावधान रहें: अज्ञात नंबरों से आने वाले संदेशों और कॉलों पर विश्वास न करें।
ऑनलाइन ट्रेडिंग और निवेश से सावधान रहें: किसी भी अज्ञात व्यक्ति या वेबसाइट पर बिना जांचे-परखे पैसा न लगाएं।
अपने व्यक्तिगत विवरण साझा न करें: अपने आधार कार्ड, बैंक खाते की जानकारी आदि किसी अजनबी के साथ साझा न करें।
साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूक रहें: साइबर सुरक्षा से जुड़ी जानकारी हासिल करें और अपने डिवाइस को सुरक्षित रखें।