Barani Agriculture Project Uttarakhand : वर्ल्ड बैंक ने मंजूर की उत्तराखंड की 1000 करोड़ की “बारानी” परियोजना

Barani Agriculture Project Uttarakhand
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बारानी खेती की 1000 करोड़ रूपये की कृषि परियोजना‘‘ को विश्व बैंक द्वारा मंजूरी दे दी गई है.
> वैश्विक जलवायु परिवर्तन के अनुसार है यह परियोजना
> कृषि क्षेत्र में दुष्प्रभावों को कम करने के का है उद्देश्य
> पहाड़ों में स्प्रिंगशेड प्रबंधन,उत्पादन बढ़ाने पर फोकस
> कृषि को लाभकारी बना पलायन रोकना रहेगा लक्ष्य
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रजनीश प्रताप सिंह ‘तेज’
Barani Agriculture Project Uttarakhand
देहरादून : उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बारानी खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के उद्देश्य से बनाई गई 1000 करोड़ रूपये की “उत्तराखण्ड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना‘‘ को विश्व बैंक द्वारा मंजूरी दे दी गई है।
यह परियोजना जलागम विभाग द्वारा कियान्वित की जायेगी.
वैश्विक स्तर पर हो रहे जलवायु परिवर्तन, अधिक ग्रीन हाऊस गैस उत्सर्जन से वैश्विक स्तर पर अनिश्चित मौसम चक्र/घटनाओं से सभी देश प्रभावित हैं.
हमारा राष्ट्र भी COP -26 Agreement का प्रतिभागी है, इसी को दृष्टिगत रखते हुये उत्तराखण्ड राज्य सरकार द्वारा ग्रीन हाऊस कार्वन उत्सर्जन कम किये जाने एवं जलवायु परिवर्तन से हो रहे
कृषि क्षेत्र में प्रभावों को कम करने हेतु भारत सरकार को विश्व बैंक से वित्त पोषण हेतु “उत्तराखण्ड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना Uttarakhand Climate Responsive Rain – fed Farming Project का प्रस्ताव प्रेषित किया गया था.
Barani Agriculture Project Uttarakhand
यह परियोजना पर्वतीय क्षेत्रों में स्प्रिंगशैड प्रबन्धन, कृषि उत्पादकता को बढ़ाने, पलायन रोकथाम, नवीनतम आधुनिक तकनीक अपनाकर क्लस्टर आधारित खेती को प्रोत्साहित करने में कारगर सिद्ध होगी,
ताकि कृषि क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के अनुकूल गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जा सके और प्रदेश के युवाओं एवं कृषकों हेतु कृषि एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में विकसित हो सके.
राज्य के बारानी कृषि क्षेत्र के व्यापक सुधार, प्रति इकाई उत्पादकता वृद्धि तथा कृषि व्यवसाय वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुये प्रस्तावित परियोजना में प्रमुख रूप से निम्नानुसार गतिविधियां की जाएंगी.
० वर्षा आधारित कृषि उत्पादन प्रणालियों में संभावनाओं के विस्तार हेतु आधारभूत प्रणाली के रूप में स्प्रिंग- शेड प्रबंधन अवधारणा से कार्य.
० प्रभावी वर्षा जल भंडारण तथा कुशल जल उपयोग गतिविधियों के माध्यम से सूक्ष्म में स्थित स्प्रिंग- शेड प्रवाह क्षेत्रों में जल उत्पादकता बढ़ाना.
० जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियाँ अपनाकर, बारानी कृषि भूमि की मृदा में जैविक कार्बन की मात्रा में सुधार करते हुए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाना.
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० विविध कृषि प्रणालियों के अंतर्गत हाइड्रोपोनिक्स आदि जलवायु दक्ष तकनीकों के अंगीकरण तथा एग्रोलॉजिस्टिक्स को प्रोत्साहन.
० परंपरागत स्थानीय फसलों के प्रमाणित बीज उत्पादन तथा एकीकृत फसल प्रबंधन रणनीतियों द्वारा बारानी क्षेत्रों में जलवायु अनुकूल को बढ़ावा देना.
० जलवायु अनुकूल कृषि सलाहकार सेवाओं तथा क्लस्टर स्तर पर विश्वसनीय फसल आधारित.
० मौसम सलाहकार सेवाओं का प्रसार तथा तद्नुसार किसानों का क्षमता विकास.
० छोटी जोत वाले किसानों के लिए विभिन्न आयपरक स्रोत विकसित करने हेतु कृषि, बागवानी, पशु पालन (विशेष रूप से छोटे पशु) आदि सहायक कृषि गतिविधियों का एकीकरण.
० पारंपरिक स्थानीय फसलों के जैविक प्रमाणीकरण द्वारा मूल्य वृद्धि सुनिश्चित करना.
० किसानों को समन्वित रूप से कृषि आधारित सेवाएं प्रदान करने तथा लाभकारी बाजार संपर्क सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय स्तर पर कृषि व्यवसाय केंद्रों की स्थापना.
प्रस्तावित परियोजना गतिविधियों द्वारा न सिर्फ क्लस्टर स्तर पर विश्वसनीय फसल आधारित मौसम सलाहकार सेवाओं के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग तथा फसलों, सब्जियों तथा फलों के लिए जलवायु अनुकूल पैकेज आफ प्रैक्टिसेज का विकास संभव हो सकेगा.
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परियोजना क्षेत्र में उच्च मूल्य संरक्षित कृषि क्लस्टरों की स्थापना के साथ-साथ स्थानीय कृषकों की वित्तीय तथा तकनीकी सहायता में पूर्णतः सक्षम एवं क्रियाशील 5 कृषि व्यवसाय केंद्रों की स्थापना भी हो सकेगी.
इसके अतिरिक्त जल उत्सर्जन में 4 प्रतिशत की वृद्धि, मृदा क्षरण में 15 प्रतिशत की कमी तथा बारानी फसलों में 20 प्रतिशत एवं सिंचित फसलों की उत्पादकता में 50 प्रतिशत की वृद्धि जैसे लक्ष्य प्राप्त किए जा सकेंगे.