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दुनिया की 1% आबादी है इससे प्रभावित,जानिये सिजोफ्रेनिया के अजीबोगरीब लक्षण

सिजोफ्रेनिया का समय रहते उपाय इसके निदान में कारगर सिद्ध होता है इसी जागरूकता को फैलाने के लिए स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी ने विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस पर कार्यक्रम आयजित किया.
> प्रभावित व्यक्ति की पर्सनालिटी में आता है बदलाव
> सामाजिक समारोह से कटा-कटा रहता है व्यक्ति
> लगता है जैसे कोई छिपकर देख रहा हो आपको
> जागरूकता और सही काउन्सलिंग से है निदान
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रजनीश प्रताप सिंह ‘तेज’

देहरादून :

सिजोफ्रेनिया है एक प्रकार का मनोरोग

विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस पर हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में जागरुकता अभियान चलाया गया इस दौरान अस्पताल में आने वाले लोगों को इस बीमारी के लक्ष्ण व बचाव के विषय में चिकित्सकों की ओर से विस्तृत जानकारी दी गयी.

मंगलवार को हॉस्पिटल के मनोरोग विभाग व हिमालयन कॉलेज ऑफ नर्सिंग के संयुक्त तत्वावधान में सिजोफ्रेनिया बीमारी को लेकर जागरूकता अभियान चलाया गया.

मनोरोग विभाग के मनोचिकित्सक डॉ. प्रिय रंजन अविनाश ने आयोजित जागरुकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि इस दिन का उद्देश्य लोगों को सिज़ोफ्रेनिया के रोगियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में सूचित करना और शिक्षित करना है.

ये हैं इसके प्रमुख लक्षण

सिज़ोफ्रेनिया वैश्विक आबादी का लगभग 1 प्रतिशत लोगों को प्रभावित करता है.

यह आमतौर पर युवा लोगों को प्रभावित करता है और इसलिए गंभीर विकलांगता, रुग्णता का कारण बनता है और इसके भारी आर्थिक परिणाम होते हैं.

इसके लक्षणों में रोगी को कुछ ऐसा देखना व सुनना जो वहां मौजूद न हो, लोग आपको छिपकर देख रहे है, शरीर को बेढंगे तरीके से रखना, पढ़ाई-लिखाई से भी अनमना हो जाना, व्यक्तित्व में बदलाव, सामाजिक समारोह में कटे-कटे से रहना आदि शामिल है.

इस स्थिति में रोगी को सही काउंसिलिंग की जरूरत होती है रोगी को तुरंत मनोरोग चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.

नर्सिंग प्रिंसिपल डॉ. संचिता पुगाजंडी, डॉ रोबिन विक्टर, डॉ. रोहित, डॉ. अंशू, डॉ टिव्ंकल, डॉ ध्रुविका, डॉ रचित, डॉ ग्रेस सिंह, जे मनोरंजिनी, संध्या नेगी, कृष्ण मोहन ने भी सिजोफ्रेनिया के प्रबंधन के विषय में जानकारी साझा की.

इस अवसर पर नर्सिंग कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने पोस्टर प्रदर्शनी, नाटक के माध्यम से लोगों के सिजोफ्रेनिया बीमारी के लक्ष्ण व बचाव के विषय में लोगों को जानकारी दी.

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