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Head and Neck Cancer : मुंह और गर्दन में कैंसर की मुख्य वजह तंबाकू सेवन,उत्तराखंड के कैंसर विशेषज्ञों ने किया मंथन

-हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट की ओर से कार्यशाला आयोजित

-कार्यशाला में उत्तराखंड के समस्त कैंसर विशेषज्ञ चिकित्सकों ने किया मंथन

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रजनीश प्रताप सिंह ‘तेज’

देहरादून : हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट के कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट की ओर से मुंह और गर्दन (हेड एंड नेक) में कैंसर के निराकरण व बचाव के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया.

इसमें विशेषज्ञ चिकित्सकों ने कहा कि यदि रोगी प्रारंभिक अवस्था में उपचार को आ जाए तो कैंसर रोगी पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं.कार्यशाला को संबोधित करते हुए कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट के निदेशक डॉ.सुनील सैनी ने कहा कि कैंसर के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.

इसकी मुख्य वजह तंबाकू का सेवन करना है.

मुंह और गर्दन का कैंसर दुनियाभर में होने वाले कैंसर में छठे स्थान पर है लेकिन, भारत में यह आम कैंसर है.

डॉ. विपुल नौटियाल ने बताया कि जागरुकता की कमी की वजह से भारत में लगभग 85% मुंह और गर्दन के कैंसर के रोगी तब उपचार को आते हैं जब कैंसर एडवांस स्टेज में पहुंच जाता है.

यह कैंसर हमारी मुंह से लेकर गले तक के किसी हिस्से में हो सकता है.

कार्यशाला में उत्तराखंड के समस्त कैंसर विशेषज्ञ चिकित्सकों ने मंथन किया.

इस दौरान डॉ.मीनू गुप्ता,डॉ.एसके वर्मा, डॉ.विनय कुमार,डॉ.अंकित बत्रा,डॉ.अंशिका अरोड़ा आदि मौजूद रहे.

मुंह और गर्दन के कैंसर के जोखिम कारक क्या हैं ?

आमतौर यह कैंसर उन लोगों को ही ज्यादा प्रभावित करता है जो तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट और शराब का सेवन करते हैं.

पान सुपारी के सेवन से हमारे मुंह में छाले पनपते हैं, जब यह बार-बार होने लगे तो यह कैंसर का जन्म दे सकता है.

मुंह और गले के कैंसर के लक्षण

-मुंह में सूजन या खून का रिसाव आना

-मुंह मे छाले या घाव का ठीक न होना

-गले में गांठ होना-निगलने में समस्या

-आवाज कर्कश होना

-भोजन में निगलता समय दर्द होना

-दीर्घकालिक खांसी या खांसी के साथ ब्लीडिंग होना

-कान में दर्द, सुनायी देना बंद होना अथवा कान में घंटियां बजते रहना

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