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वाराणसी से चली स्माइल टॉर्च का देहरादून में हुआ स्वागत,”चाँद पर दाग है क्लेफ्ट”

देहरादून : देश की सबसे बड़ी क्लेफ्ट चैरिटी – और इसके सहयोगी अस्पताल, हिमालयन हॉस्पिटल ने स्माइल टार्च का देहरादून में स्वागत किया।

8 फरवरी, 2019 को वाराणसी में राष्ट्रीय क्लेफ्ट डे पर लॉन्च की गई स्माइल टार्च पूरे भारत में यात्रा कर रही है।

डॉ. विजय धस्माना और संजय द्विवेदी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान

स्माइल ट्रेन इंडिया की प्रबंधक,शीला कोयना ने कहा कि ,”क्लेफ़्ट उपचार में सबसे बड़ी चुनौतियां सामर्थ्य और पहुंच हैं।

क्लेफ्ट वाले बच्चों को मुस्कुराने और हमारे समर्थन की आवश्यकता है।”

हिमालयन अस्पताल में स्माइल ट्रेन प्रोग्राम के डायरेक्टर डॉ संजय द्विवेदी ने कहा, “भारत में प्रतिवर्ष 35000 बच्चे क्लेफ्ट के साथ पैदा होते है।

 हर 600 बच्चों में से एक बच्चा क्लेफ्ट होता है।

ऐसे बच्चों को समाज में खंडू अर्थात खण्डित चेहरेवाला कहा जाता है और कलंक माना जाता है।

ऐसे में न सिर्फ रोगी बल्कि पूरा परिवार कुंठा का शिकार हो जाता है।

क्लेफ्ट सर्जरी सुरक्षित है । उपचार के बाद, बच्चे सामान्य जीवन जीते हैं।

क्या होता है क्लेफ्ट ?

जब बच्चे का ऊपर वाला होंठ या तालू या दोनों का ही कटा होता है तो इसे इंग्लिश में क्लेफ्ट कहा जाता है।

अब सर्जरी के माध्यम से इसे ठीक किया जा सकता है जिसमें सर्जरी के निशान भी बहुत कम ही रहते हैं।

स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर विजय धस्माना  ने बताया कि हिमालय अस्पताल में 8300 मुफ्त क्लेफ्ट सर्जरी स्माइल ट्रेन के सहयोग से कर दी गई है।

क्लेफ्ट के रोग को उन्होंने चाँद पर दाग की उपमा दी।

स्माइल ट्रेन इंडिया ने भारत में 5 लाख से अधिक क्लेफ्ट सर्जरी का सहयोग किया है ।

जिसमें केवल 19 वर्षों में उत्तराखंड में 11,000 से अधिक नि: शुल्क क्लेफ्ट होंठ और तालू पुनर्निर्माण सर्जरी शामिल हैं।

यह संभव हुआ है साझेदार अस्पतालों के नेटवर्क के माध्यम से, जिनमें हिमालयन अस्पताल अग्रणी है।

प्रेस क्लब,देहरादून में पत्रकार सम्मेलन करते हुए यह जानकारी दी गयी है।

 

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