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“जीवन की नई उम्मीद”: एम्स ऋषिकेश में दुर्लभ ऑपरेशन संपन्न,मरीज की आकस्मिक जा सकती थी जान

"New hope of life": Rare operation completed in AIIMS Rishikesh, patient could have lost his life accidentally

देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेशका सीटीवीएस (कार्डियोथोरैसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी) विभाग लगातार चिकित्सा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।

यह विभाग न केवल जटिल मामलों का समाधान कर रहा है, बल्कि ऐसे दुर्लभ केसों का भी इलाज कर रहा है, जिनका उपचार अन्यत्र संभव नहीं हो पाता।

विभाग की यह उपलब्धि दर्शाती है कि समय पर सही चिकित्सा मिलने पर जटिल से जटिल बीमारियों से भी मरीजों को बचाया जा सकता है।

एक अनूठा केस: लेफ्ट वेंट्रिकल ट्यूमर का सफल ऑपरेशन

सहारनपुर निवासी 32 वर्षीय संजय कुमार का मामला चिकित्सा जगत में एक मील का पत्थर साबित हुआ।

संजय कुमार पैट्रोल पंप पर प्राइवेट जॉब कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं और अपने परिवार में अकेले कमाने वाले व्यक्ति हैं।

जा सकती थी मरीज की जान

बीती 28 मई को उनके शरीर का बायां हिस्सा लकवा ग्रस्त होने से उनका आधा शरीर निष्क्रिय हो गया।

इसके साथ साथ उन्हें खाना निगलने में भी दिक्कत आने लगी।

लकवा ग्रस्त होने के बाद जब उन्हें एम्स, ऋषिकेश लाया गया, तो जांच में पता चला कि उनके दिल के मुख्य पंपिंग चैंबर (लेफ्ट वेंट्रिकल) में एक दुर्लभ ट्यूमर है।

यह स्थिति अत्यंत जटिल और जानलेवा थी।

विशेषज्ञ चिकित्सक के अनुसार लेफ्ट बैंट्रिकल के ट्यूमर बहुत ही दुर्लभ होते हैं और यदि ट्यूमर या उसका कोई हिस्सा टूटकर आगे बढ़ जाए तो रोगी की आकस्मिक मौत हो सकती है।

सीटीवीएस विभाग की विशेषज्ञ टीम ने एक जटिल सर्जरी करके 4x4x3 सेंटीमीटर के इस ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाल दिया।

टीम वर्क का उत्कृष्ट उदाहरण: सीटीवीएस विभाग की सफलता का रहस्य

इस जटिल सर्जरी की सफलता के पीछे एक समर्पित और कुशल टीम का हाथ था।

डॉ. नम्रता गौर के नेतृत्व में डॉ. अनीश गुप्ता, डॉ. दनिश्वर मीना, डॉ. ईशान जलानी, और एनेस्थिसिया विशेषज्ञ डॉ. अजय कुमार मिश्रा की टीम ने मिलकर यह असाधारण कार्य संपन्न किया।

इसके अलावा, चीफ नर्स केशव और हार्ट-लंग मशीन टेक्निशियन अमित की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही।

डॉ. नम्रता गौर ने इस उपलब्धि के लिए पूरी टीम, नर्सिंग स्टाफ और अन्य कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया। यह सफलता सीटीवीएस विभाग की मरीजों के प्रति प्रतिबद्धता और ईमानदार प्रयासों का परिणाम है।

डॉ. नम्रता ने बताया कि पहले उत्तराखंड में ओपन हार्ट सर्जरी कराने के साधन व मेडिकल संस्थान यहां गरीब तबके के आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं थे,

लेकिन अब एम्स,ऋषिकेश अपने सतत प्रयासों से हर तबके के मरीज के लिए जटिल से जटिल दिल के ऑपरेशन नियमितरूप से कर रहा है।

साथ ही संस्थागत स्तर पर प्रयास किया जा रहा है कि उत्तराखंड में दिल के इलाज की समग्र सुविधाएं सरकारी अस्पताल में आम गरीब व्यक्ति को मिल सके।

चिकित्सक के अनुसार मरीज को 24 जून 2024 को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।

मरीज व परिजन एम्स अस्पताल में किए गए इस सफल उपचार के लिए प्रसन्न हैं।

उन्होंने बताया कि विभिन्न तरह की समस्याओं से ग्रसित मरीज का उपचार सीटीवीएस, न्यूरोलॉजी,ईएनटी विभाग की देखरेख में अभी जारी रहेगा और मरीज को आगे के इलाज के लिए समय समय पर फॉलोअप ओपीडी में आने को कहा गया है।

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