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रजनीश प्रताप सिंह ‘तेज’
देहरादून : उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक ने एक अभिभावक रिटायर्ड फौजी की शिकायत का संज्ञान लेते हुये स्कूली बच्चों के बिना लाइसेंस वाहन चलाने पर चेकिंग के निर्देश दिये हैं.
मामला दरअसल इस प्रकार है कि एक अभिभावक ने डीजीपी से सोशल मीडिया के माध्यम से शिकायत की थी जिसका संज्ञान लेते हुए उन्होंने इसके निर्देश दिये हैं.
अभिभावक का संदेश
नमस्कार उत्तराखंड पुलिस मित्र। मुझे आपसे एक सवाल भी है और शिकायत भी। मेरा बेटा अभी क्लास 11 में पढ़ता है और उसकी उम्र अभी 18 नहीं है।
उसके कई साथी स्कूल में स्कूटी या बाइक से जाते हैं जिस वजह से वह भी मुझसे बार-बार मेरी स्कूटी स्कूल ले जाने की जिद करता है जिसकी वजह से हमारी घर में कहा-सुनी हो जाती है और यह महीने में 2 से 3 बार हो जाती है जिससे घर का माहौल अशांत रहता है।
उसका कहना है यदि उसके दोस्तों के माता-पिता उनको लाने देते हैं तो मैं उसे स्कूटी क्यों नहीं। काफी समझने के बाद भी वह नहीं मानता। उसका कहना/समझना है कि पुलिस कभी स्कूल के बच्चों को नहीं पकड़ती।
मैं एक रिटायर्ड फौजी हूं। शायद मैं भी एक दिन अपने बच्चे को बिना लाइसेंस के स्कूटी दे दूं ताकि घर में शांति बनी रहे।
यह बात सही है कि आजतक मैंने भी कभी अखबार या मीडिया स्कूल के बच्चों की चेकिंग नहीं देखी। इसलिए आपसे निवेदन है कि आप स्कूल के बच्चों और स्कूल को भी चेतवानी देने के लिए एक अभियान चलाएं। आप बच्चों को चेक नहीं करते इसलिए उनके हौसले बुलंद हो रहे हैं।
अपील का डीजीपी ने संज्ञान लेकर दिए निर्देश
डीजीपी अशोक कुमार ने निदेशक यातायात को निर्देशित किया है कि सभी स्कूलों के बाहर चेकिंग और जागरूकता अभियान चलाया जाये इसके साथ ही स्कूल मैनेजमेंट को भी विद्यार्थियों को बिना लाइसेंस के वाहन चलाने के लिए हतोत्साहित करने हेतु अनुरोध किया जाए।
उन्होंने कहा कि नाबालिग बच्चे को वाहन सौंपना उनकी और किसी दूसरे की जिंदगी जोखिम में डालने जैसा है। परिजनों को इस पर ध्यान देना चाहिए। जब तक लाइसेंस न बन जाए तब तक उन्हें वाहन न सौंपे।