बड़ी खबर : रामपुर तिराहा मामले में 2 पुलिस कर्मियों को आजीवन कारावास के साथ 1,00,000 रु जुर्माने की सजा
Big news: 2 police personnel sentenced to life imprisonment with a fine of Rs 1,00,000 in the Rampur Tiraha case.
देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : अपर सत्र न्यायाधीश, मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) की विचारण अदालत ने आज Rampur Teeraha ( (Muzaffarnaagr) रामपुर तिराहा मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) मामले से संबंधित एक केस में पी.ए.सी. के तत्कालीन पुलिसकर्मी मिलाप सिंह एवं वीरेंद्र प्रताप को आजीवन कारावास के साथ 1,00,000/- रु. के जुर्माने की सजा सुनाई।
उन्हें अदालत ने दिनाँक 15.03.2024 को Indian Penal Code भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376 (2) (जी), 392, 354 एवं 509 के तहत दोषी ठहराया और सजा पर सुनवाई हेतु आज अर्थात 18.03.2024 की तिथि तय की गई थी।
विचारण अदालत ने यह भी आदेश दिया कि जुर्माने की पूरी राशि पीड़िता को दी जाएगी।
क्या है आरोप ?
यह आरोप है कि Uttarakhand Sangharsh Samiti उत्तराखंड संघर्ष समिति ने दिनाँक 02.10.1994 को लाल किला, दिल्ली में एक रैली का आयोजन किया था
इस रैली में भाग लेने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों से लोग बसों में दिल्ली आ रहे थे।
उत्तर प्रदेश सरकार ने रैली में हिस्सा लेने वालों को रोकने के लिए जगह-जगह पुलिस बल तैनात कर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
जब रैली करने वाले लोग, दिनाँक 01-02.10.1994 की रात्रि में Rampur Teeraha ( (Muzaffarnaagr) रामपुर तिराहा, मुजफ्फरनगर के पास पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया और हिरासत में ले लिया।
कुल 345 रैलीकर्ताओं को हिरासत में लिया गया,
जिसमें से 47 महिलाएं थीं।
हिरासत में ली गई महिला रैलीकर्ताओं के साथ बलात्कार व छेड़छाड़ के मामले सामने आए थे।
हाई कोर्ट में दायर की गयी थी याचिका
Allahabad High Court इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष उत्तराखंड संघर्ष समिति द्वारा समादेश याचिका Writ Petition संख्या 32928 वर्ष 1994, दायर की गई थी।
Allahabad High Court इलाहाबाद उच्च न्यायालय के दिनांक 07.10.1994 के आदेश के अनुपालन में, CBI सीबीआई ने प्रारंभिक जांच (पीई) की।
Central Bureau of Investigation सीबीआई द्वारा प्रस्तुत प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर, उच्च न्यायालय ने CBI सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया।
जिसके अनुसार CBI सीबीआई ने दिनाँक 25.01.1995 को विभिन्न आरोपों पर मामला दर्ज किया
जिसमें कहा गया कि रैली में हिस्सा लेने वालों को ले जा रही एक बस को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर रोका गया
एवं बस के शीशे, हेड लाइट और खिड़की के शीशे तोड़ दिए गए
तथा तैनात पुलिस कर्मियों ने रैली में शामिल लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया।
यह भी आरोप है कि दोनों पुलिसकर्मी पी.ए.सी. के थे, जिन्होंने बस में घुसकर पीड़िता के साथ छेड़छाड़ और बलात्कार सहित अपराध किए थे।
जांच पूरी होने के बाद, सीबीआई ने दिनाँक 21.03.1996 को आरोप पत्र दायर किया।
विचारण के दौरान 15 गवाहों से पूछताछ की गई।
विचारण अदालत ने दोनों आरोपियों को कसूरवार पाया और उन्हें तदनुसार सजा सुनाई।