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24 वर्षीय युवती के शरीर से 41 किलोग्राम के ओवरियन ट्यूमर का सफल ऑपरेशन :एम्स

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उत्त्तराखण्ड अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में प्रसूति एवं

स्त्री रोग विभाग के चिकित्सकों ने बिजनौर निवासी एक 24 वर्षीय युवती के शरीर से

41 किलोग्राम के ओवरियन ट्यूमर का सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर

युवती को जीवनदान दिया है।

चिकित्सकों ने बताया कि ओवरियन कैंसर ट्यूमर का यह अब तक का सबसे बड़ा मामला है।

एम्स के गाइनी विभाग के चिकित्सकों के अनुसार यह युवती बिजनौर से पेट में गांठ व

दर्द की शिकायत लेकर एम्स ऋषिकेश आई थी,

बताया गया कि महिला को पिछले 6 वर्षों से यह शिकायत थी व उसके पेट में ट्यूमर

छह साल से धीरे-धीरे बढ़ रहा था।

पिछले एक साल से उसे चलने फिरने और खड़े रहने में कठिनाई होने लगी थी।

उपचार के लिए एम्स ऋषिकेश आने से पूर्व उक्त युवती उत्तरप्रदेश के कई सरकारी

व निजी अस्पतालों में अपने रोग के उपचार के लिए गई थी,

मगर हर जगह से निराशा ही हाथ लगी व उसे इलाज संभव नहीं होने

की बात कहकर रेफर कर दिया गया।

आखिरकार थक-हारकर वह एम्स ऋषिकेश आई।

जहां युवती की संपूर्ण जांच के बाद उसके पेट में 50×40 सेमी. का ओवरियन ट्यूमर पाया गया।

एम्स के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की डा. कविता खोईवाल और उनकी टीम मेंबर डा. ओम कुमारी,

डा. राहुल मोदी व डा. अंशु गुप्ता ने युवती ऑपरेशन किया

जिसमे 41 किलोग्राम का ओवरियन कैंसर ट्यूमर निकाला गया।

इसके अलावा इस ऑपरेशन में एनेस्थिसिया विभाग की टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा,

जिसमें डा. प्रियंका गुप्ता और उनकी टीम के अन्य सदस्य शामिल रहे।

संस्थान की स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. कविता खोईवाल ने बताया कि यह एक जटिल चुनौती थी,

क्योंकि हमें एक महिला रोगी के शरीर से बड़े साइज के ट्यूमर को हटाना था,

जो कि मरीज के शरीर के कुल वजन का लगभग 60 प्रतिशत था।

उन्होंने बताया कि ओवरियन कैंसर ट्यूमर का यह अब तक का सबसे बड़ा मामला है। 

प्रसूति एवं स्त्री रोग विभागाध्यक्ष डा. जया चतुर्वेदी ने बताया कि युवती की बीमारी से

जुड़ा यह मामला विशेषकर दूरदराज के गांवों की महिलाओं की दुर्दशा को उजागर करता है,

जिन्हें चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में समय पर आवश्यक उपचार नहीं मिल पाता है

और वह इस तरह की अवस्था तक पहुंच जाती हैं।

उन्होंने बताया कि इस तरह के ओवरियन ट्यूमर के मामले काफी कम सामने आते हैं,

साथ ही ट्यूमर के इतने बड़े आकार व इस स्थिति में आने से मरीज को

बचा पाना बहुत मुश्किल हो जाता है।

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